मराठा-ओबीसी एकता की जरूरत, मंत्री पंकजा मुंडे का बयान

महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे का समर्थन किया और अपील की कि मराठा और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों को मिलकर अपने मतभेद सुलझाने चाहिए। बीड जिले के परली में रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुंडे ने कहा, पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने जो बयान दिए, उनको गलत तरीके से पेश किया गया और उन्होंने कभी भी मनोज जरांगे के खिलाफ कुछ नहीं कहा।

‘मेरे भाषण को गलत समझा गया’

कार्यक्रम में मनोज जरांगे भी मौजूद थे। इस दौरान पंकजा मुंडे ने मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच मित्रता और एकता की बात की और दोनों पक्षों से बढ़ते सामाजिक मतभेदों को मिटाने की अपील की। मुंडे ने कहा, मैंने मनोज जरांगे के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। मेरे लोकसभा चुनाव के दौरान के भाषण को गलत समझा गया। अगर वह फिर से अनशन पर बैठते हैं, तो मैं बतौर कैबिनेट मंत्री उनसे मिलने जाने को तैयार हूं, लेकिन मैं कानून की मर्यादा से बाहर कोई कदम नहीं उठाऊंगी।

‘गलत का समर्थन नहीं करूंगी’

ओबीसी समुदाय से आने वाली पंकजा मुंडे ने कहा कि उनके पिता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे एक समावेशी और जनता के हित में काम करने वाले नेता थे और वह उनके आदर्शों पर चलना चाहती हैं। उन्होंने कहा, अगर कोई व्यक्ति मेरे ही समुदाय से क्यों न हो, लेकिन अगर उसका रुख गलत है, तो मैं उसका समर्थन नहीं करूंगी।

सरकारी आदेश से ओबीसी नेताओं में नाराजगी

दो सितंबर को महाराष्ट्र सरकार ने हैदराबाद गजट लागू करने को लेकर एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया था, जिसके तहत मराठा समुदाय के योग्य सदस्य कुणबी जाति के प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग के तहत आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। यह आदेश तब जारी किया गया था, जब मनोज जरांगे ने 29 अगस्त से मुंबई में पांच दिन का अनशन किया था। हालांकि, इस फैसले के बाद ओबीसी समुदाय के नेताओं में असंतोष दिखाई दिया।

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