मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को राज्य सरकार के उस अध्यादेश को स्वीकृति दे दी जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण कोटा को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। यह घोषणा आज राज्य के कानून और कानूनी मामलों के मंत्री पीसी शर्मा ने की।
कांग्रेस के इस कदम को आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है। शर्मा ने कहा, ‘अध्यादेश जारी और अधिसूचित किया गया है।’ सरकार के अधिकारियों का कहना है कि अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन के पास स्वीकृति के लिए शुक्रवार को भेजा गया था। ताकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले इसकी मंजूरी मिल सके।
अधिकारियों के अनुसार मंजूरी के बाद मध्यप्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) ने राज्य में भाजपा का शिवराज सिंह चौहान के काल में ऐतिहासिक समर्थन किया था। वह समुदाय के सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले नेता हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को ओबीसी के 50 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन उसे कांग्रेस के मुकाबले केवल 109 सीटों पर जीत मिली। वहीं कांग्रेस ने राज्य की 114 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस समय राज्य की 29 में से 26 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है जबकि बची हुई सीटें कांग्रेस के खाते में हैं।
गरीब सवर्णों का 10% आरक्षण लटका
ओबीसी के लिए आरक्षण को 14 फीसदी से बढाकर 27 फीसदी करने में तो कमलनाथ सरकार ने बेहद चुस्ती दिखाई लेकिन मोदी सरकार के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को मध्यप्रदेश में अब तक लागू नहीं किया गया है। कमलनाथ सरकार ने इसके लिए एक समिति बना दी है जो इसका अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी लेकिन तब तक आचार संहिता लागू हो जाएगी और मध्यप्रदेश में मोदी सरकार की ओर से गरीब सवर्णों को दिए 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मध्यप्रदेश के गरीब सामान्य वर्ग के लोगों को नहीं मिल पाएगा।
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