मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक विजयादशमी पर शस्त्र पूजन किया। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक वस्त्र धोती कुर्ता धारण कर वैदिक विधि से शक्ति स्वरूपा मां काली की पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री निवास पर शक्ति, साहस और विजय के प्रतीक के रूप में शस्त्रों के पूजन अवसर पर मुख्यमंत्री सुरक्षा अधिकारी और कर्मचारियों सहित समस्त स्टाफ शस्त्र पूजन का हिस्सा बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि विजयादशमी पर शस्त्र पूजन का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, जो हिंदू सनातन परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह व्यक्ति को उसके कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और अधर्म के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को विजयदशमी की शुभकामनाएं दी। उन्होंने इस अवसर पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया और अहिल्या देवी की 300वीं जयंती पर दशहरा पर्व समर्पित किया। मुख्यमंत्री ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दशहरे का पर्व हमारी सनातन संस्कृति से जुड़ा हुआ है और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।
इस वर्ष का दशहरा विशेष रूप से अहिल्या देवी की 300वीं जयंती और राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्मोत्सव को समर्पित किया गया है। उन्होंने कहा कि अहिल्या देवी ने सदैव अपने राज्य और अखंड भारत की सुरक्षा के लिए सुशासन का पालन किया। उनका शासन एक उदाहरण है कि उनके राज्य पर कभी आक्रमण नहीं हुआ।
विजयादशमी के अवसर पर मुख्यमंत्री ने पारंपरिक वस्त्र धोती-कुर्ता धारण कर मुख्यमंत्री निवास पर वैदिक विधि से शस्त्रों का पूजन किया। इस अवसर पर सुरक्षा अधिकारी, कर्मचारी और समस्त स्टाफ भी शस्त्र पूजन का हिस्सा बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि शस्त्र पूजन का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, जो हमें अधर्म के खिलाफ लड़ने और अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा देता है।
मुख्यमंत्री ने विजयादशमी को विशेष महत्व देते हुए कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है। देश का पूरा सनातन समाज आज शस्त्र पूजन करके दशहरा मना रहा है। उन्होंने कहा कि दशहरा का त्यौहार हमें शक्ति, साहस और विजय की याद दिलाता है।