मध्य प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकॉस्ट) के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी के खिलाफ पिछले छह वर्षों में अनियमितताओं और वित्तीय घोटालों की शासन को शिकायत हुई है। इस मामले की जांच करने के बजाए विभाग ने आरोपी डीजी से ही जांच रिपोर्ट मांग ली है। अब सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र जांच के बजाए डीजी को क्यों बचाया जा रहा है? जिन पर आरोप हैं उन्हें ही क्यों जांच सौंपी गई है? इससे भी हैरान करने वाली सचाई यह है कि जुलाई में लिखे गए पत्र के बाद भी अब तक विभाग को जांच रिपोर्ट नहीं भेजी गई है।
मैपकॉस्ट में भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय और विभाग को शिकायत की गई थी। इस मामले में वरिष्ठ कार्यालय से विभाग को शिकायतें कार्रवाई के लिए भेज दी गईं। इधर, विभाग ने मामले में शिकायत की जांच खुद करने, किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने के बजाए खानापूर्ति के लिए आरोपी मैपकॉस्ट के डीजी डॉ. अनिल कोठारी को ही जांच करा कर रिपोर्ट भेजने का आदेश दे दिया है। इस आदेश को भी तीन माह से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।