मध्य प्रदेश में मात्र 15 महीने में ही सत्ता से हाथ धोने के कारण कांग्रेस बेहद आहत है। भाजपा और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से इसका बदला लेने के लिए कांग्रेस 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है। उपचुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान की रणनीति बनाने का काम प्रशांत किशोर को दिया है।
बिहार में नीतीश कुमार को जीत दिलाने में प्रशांत किशोर की अहम भूमिका रही है। पिछले विधानसभा (2018) चुनाव में भी प्रशांत ही कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने वाले मुख्य रणनीतिकार थे। कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान संभालने के लिए पार्टी ने तीन कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार किया था।
हालांकि, इसमें प्रशांत किशर के नाम पर मुहर लगी है। भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस का वॉर रूम भोपाल में न होकर कांग्र्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में होगा।
कांग्रेस सिंधिया समर्थक नेताओं के खिलाफ बेहद मजबूत प्रत्याशी उतारने की रणनीति भी बना रही है। गौरतलब है कि कांग्र्रेस से बगावत कर कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे उसकी सरकार गिर गई थी। इसके बाद भाजपा ने शिवराज के नेतृत्व में फिर सरकार बना ली थी।
पार्टी नेताओं की मानें तो शिवराज सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ सुरखी से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह “राहुल भैया” को उपचुनाव लड़ाने पर विचार किया जा रहा है।
इससे पहले भी अजय सिंह अपना गृृहक्षेत्र छोड़ 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के खिलाफ भोजपुर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं।
दूसरे मंत्री तुलसी सिलावट के खिलाफ पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को लड़ाने पर कांग्रेस गंभीरता से विचार कर रही है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सांवेर सीट से गुड्डू पहले भी एकबार विधायक रह चुके हैं।
उन्होंने कांग्रेस के ही टिकट पर भाजपा के प्रकाश सोनकर को विधानसभा चुनाव 1998 में हराया था। पिछले चुनाव में गुड्डू भाजपा में शामिल हो गए थे। पार्टी ने उनके बेटे अजय बोरासी को विधानसभा का टिकट दिया था।
इसी तरह मंदसौर की सुवासरा सीट से मीनाक्षी नटराजन को भी उपचुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के नेता तैयार कर रहे हैं। मीनाक्षी मंदसौर से सांसद भी रही हैं।
इस सीट से कांग्रेस छोड़ने वाले हरदीप सिंह डंग इस उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी होंगे। डंग को नटराजन का ही समर्थक माना जाता था।
कांग्रेस कद्दावर नेताओं को चुनाव में उतरने के क्रम में पूर्व मंत्री रामनिवास रावत के नाम पर भी विचार कर रही है। उन्हें पोहरी या करैरा सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
पोहरी से अशोक सिंह का भी नाम है। लोकसभा चुनाव में उन्हें पोहरी से ज्यादा वोट मिले थे। कुछ अन्य सीटों पर भी कांग्रेस दमदार प्रत्याशी उतार सकती है।
बदनावर से क्षत्रिय और ग्वालियर में प्रद्युम्न सिंह तोमर के खिलाफ ब्राह्माण नेता को उतारने पर पार्टी विचार कर रही है।