नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में 19 नए मंत्रियों को शामिल किया है। इस बार उनकी टीम को मजबूत करने वाले मंत्रियों का चयन अनुभव, विशेषज्ञता और ऊर्जा के आधार पर हुआ है।
मंत्रियों का चयन करते हुए इस बात का खास ख्याल रखा गया कि वह गांव, गरीब और किसान को अपनी वरीयता पर लें। सर्वश्रेष्ठ रत्नों को चुनने के प्रयास में मंत्रिमंडल का विस्तार बहुत ही जटिल हो गया। लोगों का मूल्यांकन उनके उन मूल्यों के आधार पर हुआ जिसके बल पर वह मंत्रिमंडल को सशक्त बना सकेंगे। लिहाजा, पहले से तय मानक जैसे जाति, धर्म और अन्य राजनीतिक मापदंडों को इससे परे रखा गया।
मंत्रिमंडल में व्यवसायिक विशेषज्ञता को महत्व देते हुए मोदी ने पीपी चौधरी को चुना। चौधरी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। संवैधानिक मामलों से निपटने का उन्हें चार दशकों का अनुभव है। इसी तरह सुभाष राम राओ भामरे एक प्रख्यात डॉक्टर हैं। कैंसर के ऑपरेशन में उन्हें महारथ हासिल है। विश्व विख्यात एमजे अकबर वयोवृद्ध संपादक हैं, प्रशासनिक अनुभवों के धनी अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान के पूर्व सरकारी कर्मचारी भी हैं। इसीतरह अनिल माधव दवे की हिंदी में कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर वह काफी अरसे से सक्रिय रहे हैं।
कई मंत्रियों को तो इस आधार पर लिया कि वह राज्य के मंत्रिमंडल में अच्छा काम कर रहे हैं। जैसे- रमेश जिगाजिनांगी कर्नाटक में गृह मंत्री थे। पुरुषोत्तम रुपाला गुजरात में कृषि मंत्री हैं। जसवंत सिंह भाभोर गुजरात में आदिवासी मामलों और ग्रामीण विकास मामलों के मंत्री रहे हैं। वहीं महेंद्र नाथ पांडेय उत्तर प्रदेश में नगरीय विकास मंत्री रहे हैं। इसके अलावा, विजय गोयल युवा और खेल मंत्री रहे हैं। जबकि फग्गन कुलस्ते भारत सरकार में आदिवासी मामलों के मंत्री भी रहे हैं।
एलएसआर और एमबीए कर चुकी मंत्रिमंडल में युवाओं को शामिल करने की ललक लिए एलएसआर और एमबीए कर चुकीं अनुप्रिया सिंह पटेल को लाया जा रहा है। कैबिनेट में उन विधायकों और सांसदों को भी स्थान दिया गया है जो विधायक या सांसद रहते हुए कई कार्यकाल पूरे कर चुके हैं। जैसे विजय गोयल और रंजन गोहेन चार बार सांसद रह चुके हैं। एसएस आहलुवालिया 5 दफा सांसद रहे हैं।