सदर अस्पताल में जनवरी 2025 से शुरू हुआ दो वर्षीय एनेस्थीसिया डीएनबी कोर्स विभागीय लापरवाही और संसाधनों की कमी की भेंट चढ़ गया है। स्थिति यह है कि आठ माह बीत जाने के बाद भी न तो इस कोर्स के लिए कक्षा कक्ष उपलब्ध कराया गया और न ही नामांकित छात्रा को स्टाइपेंड मिला।
मार्च 2025 में आनन-फानन में कोर्स की औपचारिक शुरुआत तो कर दी गई, लेकिन आज तक एक भी थ्योरिटिकल क्लास नहीं हो पाई है। वर्तमान में एकमात्र नामांकित छात्रा को केवल प्रैक्टिकल प्रशिक्षण मिल रहा है, जबकि विभागीय स्तर पर क्लासरूम निर्माण और अन्य शैक्षणिक सुविधाओं की मांग लंबित है।
कोर्स के डायरेक्टर एवं अस्पताल के एनेस्थेटिक चिकित्सक डा. नरेश प्रसाद का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर की काउंसिलिंग से एक छात्रा का नामांकन हुआ है, जबकि दूसरी सीट प्रदेश स्तरीय काउंसिलिंग से भरी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित विभाग से बार-बार कक्षा और आवश्यक सुविधाओं की मांग की गई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर, पिडियाट्रिक एवं इमरजेंसी मेडिसिन से संबंधित डीएनबी कोर्स शुरू करने की कवायद भी तेज हो गई है और इसके लिए आवेदन मांगे गए हैं।
सवाल यह है कि जब पहले से संचालित एनेस्थीसिया डीएनबी कोर्स की मूलभूत आवश्यकताएं ही पूरी नहीं हो पाई हैं, तो नए कोर्स की शुरुआत कितनी सार्थक होगी। इस संबंध में पूछे जाने पर भोजपुर के सिविल सर्जन डा. शिवेंद्र कुमार सिन्हा ने माना कि एनेस्थीसिया डीएनबी कोर्स की कई बुनियादी जरूरतें अभी अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि नए कोर्स शुरू करने के मामले पर विभागीय उच्चाधिकारियों से वार्ता चल रही है।
छात्रा को जहां बगैर थ्योरिटिकल क्लास के ही प्रशिक्षण लेना पड़ रहा है, वहीं स्टाइपेंड न मिलने से आर्थिक संकट भी झेलना पड़ रहा है। स्पष्ट है कि यदि विभागीय लापरवाही यूं ही जारी रही, तो यह महत्वाकांक्षी कोर्स अपने उद्देश्य को पूरा करने से पहले ही ठंडे बस्ते में चला जाएगा।