Uttarakhand Earthquake ALERT भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने नया कदम बढ़ाया है। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के माध्यम से ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ एप तैयार किया है। बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह के हाथों इसकी लांचिंग के साथ ही उत्तराखंड के नाम बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। इस तरह का एप लांच करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। इसके जरिये रिक्टर पैमाने पर 5.5 परिमाण से अधिक के भूकंप आने पर संभावित इलाकों में लोगों को सतर्क (अलर्ट) किया जाएगा। ऐसे में सुरक्षात्मक उपाय तत्काल शुरू किए जा सकेंगे।
ऐसे करेगा एप काम
भूकंप आने पर चंद सेकंड में ही मोबाइल पर डाउनलोड यह एप सायरन व वायस मैसेज के जरिये सचेत करेगा। इस एप पर दो निशान बने हैं। ‘मुझे मदद चाहिए’ दर्शाने वाला लाल निशान क्लिक करते ही मुसीबत में फंसे व्यक्ति की लोकेशन मिलेगी। हरा निशान ‘मैं सुरक्षित हूं’ का संकेत देगा। वर्तमान में भूकंप से अलर्ट के लिए प्रदेश के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में लगाए गए सेंसर से डाटा आइआइटी रुड़की के अर्ली वार्निंग सिस्टम कंट्रोल रूम तक पहुंचता है। यह एप इस कंट्रोल रूम के सर्वर से जुड़ा रहेगा।
2014 से चल रहा प्रोजेक्ट
आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम फार नादर्न इंडिया प्रोजेक्ट पर वर्ष 2014 से काम कर रहे हैं। भू-विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और प्रोजेक्ट के प्रिसिपल इंवेस्टीगेटर प्रो. कमल के अनुसार भूकंप आने पर तत्काल अलर्ट के लिए गढ़वाल और कुमांऊ में 165 सेंसर लगाए गए हैं। चमोली से उत्तरकाशी तक कुल 82 और पिथौरागढ़ से लेकर धारचूला तक 83 सेंसर लगाए गए हैं। इसकी अगली कड़ी में मोबाइल एप पर वर्ष 2017 से कार्य शुरू किया गया था।
ऐसे पहुंचेगा एप से अलर्ट
उत्तराखंड के किसी भी क्षेत्र में भूकंप आने की स्थिति में यह एप अलार्म बजाएगा। तीन से चार बार अलार्म के बाद वॉयस मैसेज देकर सतर्क करेगा।
एक मिनट में दिल्ली होगी सतर्क
उत्तराखंड के जिन क्षेत्रों में सेंसर लगे हैं, यदि वहां भूकंप आता है तो उसका अलर्ट देहरादून तक 15 सेकंड, रुड़की तक 20 सेकंड और दिल्ली तक लगभग एक मिनट तक पहुंच जाएगी। मंशा यह कि भूकंप आने के बाद होने वाले तमाम प्रकार के नुकसान को कम से कम से किया जा सके।
उत्तराखंड में इसके अलावा देहरादून एवं हल्द्वानी के अस्पतालों, स्कूलों व सरकारी भवनों में 40 से अधिक सायरन भी लगाए गए हैं। इनकेजरिये करीब आधा किमी तक भूकंप आने की स्थिति अलर्ट जारी किया जा सकता है। आइआइटी रुड़की के हास्टल में भी सायरन लगाए गए हैं।
ऐसे करें डाउनलोड
इस एप के दो वर्जन-एंड्रायड और आइओएस दोनों प्लेटफार्म के लिए उपलब्ध हैं। गूगल प्ले स्टोर में यह उत्तराखंड भूकंप अलर्ट के नाम से उपलब्ध है। प्ले स्टोर पर सर्च करने पर यह पीले रंग के लोगो के साथ दिखेगा। इसे डाउनलोड करने के लिए यह कुछ बेसिक जानकारी मांगेगा। जैसे-नाम, मोबाइल नंबर, स्वजन व उनके घर से कुछ दूरी पर रहने वाले किसी भी चिर-परिचित या दोस्त का मोबाइल नंबर। जानकारी देने के बाद संबंधित व्यक्ति के मोबाइल में एप इंस्टाल हो जाएगा। यह एप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
भूकंप के केंद्र से दूरी बढ़ने पर बदलता है समय
आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो अजित कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि मोबाइल एप की परियोजना विशेष रूप से उत्तराखंड सरकार के साथ गठजोड़ में शुरू की गई। यह क्षेत्र भूकंपीय लिहाज से संवदेनशील है। परियोजना के तहत राज्य के विभिन्न स्थानों पर लगे सेंसर से डाटा संस्थान की प्रयोगशाला में स्थित सेंट्रल सर्वर में आते हैं। डाटा स्ट्रीम करने को तीव्र गति दूरसंचार का उपयोग किया जाता है। उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर गणना करते हैं। सर्वर सेंसर वाले क्षेत्रों में 5.5 से अधिक तीव्रता के भूकंप का पता चलते ही सार्वजनिक चेतावनी देता है। भूकंप के केंद्र से दूरी बढ़ने के साथ ही चेतावनी का समय भी बदलता है।
और जल्द सूचना के लिए शोध
आइआइटी रुड़की के प्रो कमल ने बताया कि सेंसर लगे क्षेत्रों में भूकंप आने पर यूजर को और जल्दी सूचना मिल सके, इस पर शोध किया जा रहा है, ताकि लोग समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें और जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके। हिमाचल प्रदेश की ओर से इस तकनीकी को लेकर संपर्क किया गया है।
एक से डेढ़ करोड़ का खर्च
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डा पीयूष रौतेला के अनुसार इस एप के लिए प्राधिकरण ने वित्तीय सहयोग दिया है। एप के संचालन पर सालाना एक से डेढ़ करोड़ का खर्च आएगा, जिसे प्राधिकरण वहन करेगा।
एप क्यूआर कोड स्कैन कर या प्लेस्टोर (लिंक: https//play.google.com/store/apps/details.id=govind.iitr.eews) या फिर एप स्टोर लिंक https//apps.apple.com/us/app/uttarakhand-bhookamp-alert/idv570380724 से डाउनलोड कर सकते हैं।