देश के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ रिकॉर्ड 33 महीने में बनकर तैयार हो गई है। 31 अक्टूबर (बुधवार) को पीएम मोदी इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे। दस बिन्दुओं में जानिए ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ क्यों है इतनी खास…
182 मीटर (597 फुट) ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी, इसके बाद चीन की स्प्रिंग बुद्ध मंदिर (153 मीटर) दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। जापान की उशिकु दायबुत्सु (120 मीटर) और अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का नंबर है।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को बनाने में 5,700 मीट्रिक टन यानी करीब 57 लाख किलोग्राम स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल हुआ। साथ ही 18,500 मीट्रिक टन छड़ का इस्तेमाल किया गया है। 18 हजार 500 टन स्टील नींव में और 6,500 टन स्टील मूर्ति के ढांचे में लगी।
17 सौ टन कांसे का इस्तेमाल मूर्ति में, जबकि 1,850 टन कांसा बाहरी हिस्से में लगा। 1 लाख 80 हजार टन सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल निर्माण में किया गया, जबकि 2 करोड़ 25 लाख किलोग्राम सीमेंट का इस्तेमाल किया गया।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को ऐसे डिजाइन किया गया है कि भूकंप का झटका या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। 6.5 रिक्टर पैमाने पर आए भूकंप के झटकों में भी मूर्ति की स्थिरता बरकरार रहेगी। 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को झेल सकती है।
1.69 गांवों के किसानों ने मूर्ति के लिए लोहे का दान दिया। इसमें 135 मीट्रिक टन लोहे का दान मिला, जो इसमें इस्तेमाल हुआ है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है। प्रतिमा अपने आप में अनूठी है, इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने मे चार धातुओं का प्रयोग किया गया है। जिसमें तांबे के साथ-साथ जिंक, लेड और टीन शामिल है, इससे प्रतिमा हजारों साल तक खराब नहीं होगी। इस पर धूल, धूप, बारिश व जंग का भी कोई असर नहीं होगा। प्रतिमा में 153 मीटर की ऊंचाई तक पर्यटक जा सकेंगे और 12 किमी दूरी तक देखा जा सकता है। 200 लोग एक साथ मूर्ति के ऊपरी तले में बनी गैलरी में आ सकते हैं।
1999 में पद्मश्री से सम्मानित 92 वर्षीय शिल्पकार राम वी. सुतार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) को डिजाइन किया है। संसद भवन परिसर में लगी महात्मा गांधी की 17 फिट उंची प्रतिमा भी सुतार ने ही डिजाइन किया है। इसके अलावा पटना के गांधी मैदान, कर्नाटक विधानसभा के साथ-साथ उनकी बनाई बापू की प्रतिमा 300 से ज्यादा देशों में लग चुकी हैं।
इन दिनों मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी सुतार तैयार कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी जो 2021 में बनकर तैयार होगी। प्रतिमा का स्टील फ्रेमवर्क बनाने का ठेका मलेशिया स्थित कंपनी एवरसेनडाई को दिया गया, जिसने दुबई के मशहूर बुर्ज खलीफा और बुर्ज अल-अरब जैसी इमारतें बनाई हैं।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लिए लोहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। इसके लिए एक “सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट” भी बना। इस ट्रस्ट ने देशभर के छह लाख गांवों से करीब 5000 मीट्रिक टन लोहा इकट्ठा हुआ।
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