दलित एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही भाजपा सरकार एससी,एसटी को खुश करने में जुटी है। केंद्र से लेकर सूबे की भाजपा सरकार एससी,एसटी एजेंडे पर लगातार आगे बढ़ रही है। गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) में निरुद्ध भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई को इसकी एक कड़ी माना जा रहा है।
एक तरफ बसपा के लिए चुनौती बन रहे चंद्रशेखर को सरकार ने रिहा करने का फैसला किया तो दूसरी तरफ बसपा से विद्रोह कर पार्टी में आने वाले पूर्व सांसद जुगुल किशोर को भाजपा का प्रदेश प्रवक्ता बनाकर मायावती के खिलाफ आवाज बुलंद करने की रणनीति अपनाई गई है।
भाजपा संगठन ने एससी/एसटी सम्मेलन की भी तैयारी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं एससी/एसटी अफसरों को भी महत्वपूर्ण तैनाती दी जा रही है। आरक्षण और संविधान के मसले को लेकर एससी/एसटी के भारत बंद ने भाजपा की चुनौती बढ़ा दी थी। भाजपा के आधा दर्जन से अधिक एससी/एसटी सांसदों ने नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर दिया। भाजपा सरकार और संगठन ने एससी/ एसटी को लुभाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है। एससी-एसटी एक्ट में संशोधन इसके लिए पार्टी का सबसे बड़ा हथियार बना है। एससी/एसटी को खुश करने के लिए केंद्र और राज्य की तमाम योजनाएं चल रही हैं।
बता दें कि युवा नेता चंद्रशेखर पर तीन महीने की समयावधि से पहले ही रासुका कानून हटा लिया गया है इससे पहले दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी जारी रासुका कानून को यूपी सरकार ने रद किया था। चंद्रशेखर पर पर सहारनपुर हिंसा भड़काने के मामले में संलिप्तता का आरोप था।