मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (एमओपीडब्ल्यू) द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू मोर्चे पर कई सकारात्मक रुझान उभर रहे हैं, जिसमें ऊंची विकास दर, मुद्रास्फीति में कमी और मजबूत कर संग्रह शामिल हैं।
पिछले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की चौथी तिमाही में भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत रही, जो पिछली चार तिमाहियों में सबसे अधिक है। मुद्रास्फीति लगातार चार महीनों से चार प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, और जीएसटी संग्रह लगातार बढ़ रहा है। ये संकेत अर्थव्यवस्था के औपचारिक क्षेत्र में मजबूत मांग और स्थिर गतिविधि का संकेत देते हैं।
तेजी से बढ़ेगा भारत
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का नीतिगत माहौल अब एकीकृत दिशा में आगे बढ़ रहा है। राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक नीतियों का उद्देश्य विकास की गति को बनाए रखना है। अप्रैल 2025 से लागू होने वाली बढ़ी हुई कर छूट सीमा से हाथ में आने वाली आय में सुधार और खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। साथ ही, सरकार का पूंजीगत व्यय निवेश का समर्थन करते हुए बढ़ता जा रहा है।
टैरिफ को लेकर बढ़ी थी चिंता
वैश्विक मोर्चे पर माहौल मिला-जुला बना हुआ है। अप्रैल और मई में, बाजारों को टैरिफ और भू-राजनीतिक तनावों को लेकर चिंता का सामना करना पड़ा। हालांकि, वैश्विक टैरिफ कार्यान्वयन में देरी और भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा से स्थिति में सुधार हुआ।
इस बेहतर वैश्विक भावना ने वैश्विक इक्विटी बाजारों को मदद की है। इस बीच, जापान में बांड यील्ड में वृद्धि और चीन का सोने की ओर झुकाव यह दर्शाता है कि वैश्विक निवेशक अमेरिकी बाजारों से दूर जा रहे हैं। यह एक चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि अमेरिका को इस साल नौ ट्रिलियन डालर के कर्ज के पुनर्वित्तपोषण का सामना करना पड़ रहा है।
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