दस, नौ, आठ…शून्य और रच उठा इतिहास। गगन भेदी आवाज के साथ चंद्रयान-2 को लेकर बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 उड़ चला नीले आकाश की ओर। धरती पर मानो सब कुछ थम सा गया। भारतीयों के अरमान सातवें आसमान पर। दुनिया भारत की इस हैरतअंगेज सफलता पर चकित रह गई।
स्पेस रेस की ओर बढ़ते भारत और चीन
21वीं सदी की स्पेस रेस में अमेरिका और रूस जैसे परंपरागत खिलाड़ियों के साथ-साथ चीन और भारत जैसे नए खिलाड़ी भी मैदान में हैं, जो मुकाबले को और ज्यादा रोचक बना रहे हैं। जहां भारत ने आज चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लांच करके इस रेस में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। वहीं जनवरी, 2019 को चंद्रमा के सुदूर हिस्से में अंतरिक्ष यान उतारकर चीन दुनिया का पहला देश बन गया है। एशिया की यह दोनों महाशक्तियां अंतरिक्ष पर फतह के लिए और व्यापक योजना बना रही हैं।
नई अंतरिक्ष शक्ति बनता भारत
कभी संपेरों का देश कहकर भारत का उपहास उड़ाने वाले पश्चिमी देश आज भारत को अंतरिक्ष की दुनिया की एक बड़ी ताकत मानने लगे हैं। अंतरिक्ष की गहराइयों और उसमें छिपे रहस्यों का पता लगाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी कमर कस ली है। पानी की खोज की अपने चंद्रयान-1 मिशन के जरिये भारत पहला देश है, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की।
मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बना
2014 में भारत लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बन गया। इस अभियान की लागत मात्र 7.4 करोड डॉलर यानी 450 करोड़ रुपये थी।
एक साथ भेजे 104 उपग्रह
2017 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने एक और किफायती मिशन के तहत एक साथ कई देशों के 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजकर का नया रिकॉर्ड बनाया।
गगनयान अगला लक्ष्य
चंद्रयान-2 के बाद भारत अपना गगनयान अंतरिक्ष भेजेगा। भारत की धरती से किसी भारतीय नागरिक को अंतरिक्ष में तिरंगा फहराने के लिए ले जाने वाले गगनयान मिशन को साल 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य बनाया गया है।
चीन की अंतरिक्ष योजना
चीन अगले वर्ष एक और अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर भेजने की योजना बना रहा है। 2030 तक मानव को चंद्रमा पर भेजने की योजना है। अमेरिका के बाद चीन ऐसा करने वाला दूसरा देश बन जाएगा। बीजिंग तियांगोंग कार्यक्रम पर भी बड़ा खर्च कर रहा है, जो एक स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा कार्यक्रम है, जिसका निर्माण लगभग 2022 तक पूरा करने की योजना है।
अंतरिक्ष स्टेशन करेगा स्थापित
इसरो के अध्यक्ष सिवन ने भी जून में घोषणा की थी कि भारत 2030 तक एक स्वतंत्र अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। शुक्र की परिक्रमा भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 2023 तक शुक्र की परिक्रमा करने के लिए एक अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बना रही है।
अमेरिका रेंजर प्रोग्राम
1964 में मानव रहित मिशनों का उद्देश्य चंद्रमा की सतह की पहली क्लोज-अप तस्वीरों को प्राप्त करना था।
लांचिंग
- रेंजर 7: जुलाई 1964
- रेंजर 8: फरवरी, 1965
- रेंजर 9: मार्च 1965
सर्वेयर प्रोग्राम: यह नासा का एक प्रोग्राम था, जिसने जून 1966 से जनवरी 1968 तक चंद्रमा के सतह पर सात रोबोटिक अंतरिक्ष यान भेजे। इसका प्राथमिक लक्ष्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था।
लांचिंग
- सर्वेयर 1: जुन, 1966
- सर्वेयर 2: सितंबर, 1966
- सर्वेयर 3: अप्रैल, 1967
- सर्वेयर 4: जुलाई, 1967
- सर्वेयर 5: सितंबर, 1967
- सर्वेयर, 6: नवंबर, 1967
- सर्वेयर 7: जून, 1968
अपोलो प्रोग्राम: इस प्रोग्राम के तहत नासा ने पहली बार मानव को चंद्रमा की सतह पर उतारा था।
- अपोलो 11: जुलाई, 1969
- अपोलो 12: नवंबर, 1969
- अपोलो 14: फरवरी, 1971
- अपोलो 15: अगस्त, 1971
- अपोलो 16: अप्रैल, 1972
- अपोलो 17: दिसंबर, 1972
जुलाई, 1969-चांद की सतह पर कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग पहले इंसान थे।
सोवियत संघ लूना प्रोग्राम:
1959 और 1976 के बीच सोवियत संघ द्वारा चंद्रमा पर भेजे गए रोबोट अंतरिक्ष यान मिशनों की एक श्रृंखला थी।
- लूना 2: सितंबर, 1959
- लूना 7: अक्टूबर, 1965
- लूना 8: दिसंबर, 1965
- लूना 9: जनवरी, 1966
- लूना 13: दिसंबर, 1966
- लूना 15: जुलाई, 1969
- लूना 16: सितंबर, 1970
- लूना 17: नवंबर, 1970
- लूना 18: सितंबर, 1971
- लूना 20: फरवरी, 1972
- लूना 21: जनवरी, 1973
- लूना 23: अक्टूबर, 1974
- लूना 24: अगस्त, 1976
इजरायल
बेरेशीट: इजरायल का पहला चंद्र अभियान था। चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश में यह क्रैश हो गया था। यह दुनिया का पहला निजी चंद्र अभियान था। 22 फरवरी, 2019 को इसे लांच किया गया था।
चीन
चांग ई-3: चीन का पहला मून लैंडर था। जिसे चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने 1 दिसंबर 2013 को सफलतापूर्वक लांच किया था।