प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में आगे कहा कि आप ये जानते हैं कि ऐसे समय मे जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायन्स (ISA) का विचार दुनिया के सामने रखा और इसे मूर्त रूप दिया। आज दुनिया के अनेक देश भारत द्वारा शुरू किए गए इस अभियान से जुड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत उन देशों में से है जहां सोलर पावर की कीमत प्रति यूनिट बहुत कम है लेकिन घर-घर तक सोलर पावर पहुंचाने के लिए अब भी बहुत चुनौतियां हैं। भारत को ऐसी टेक्नोलॉजी चाहिए जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए, ड्यूरेबल हो और लोग ज्यादा आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाएं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि आप सभी, साइंस, टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाजी के लिए कोई स्थान नहीं है। आपने जो सोचा है, आप जिस इनोवेशन पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना मिले लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा, क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत की स्थिति, जरूरतें और आकाक्षाएं बदल गई हैं। अब आईआईटी को इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी ही नहीं, इंस्टीट्यूट्स ऑफ इंडिजिनस टेक्नोलॉजी के मामले में दूसरे स्तर पर ले जाने की जरूरत है।