New Delhi: भारत के पास 1980 और 90 के दशक में विदेशी मुद्रा का भंडार इतना कम हो गया था कि हमें अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था। ये ही नहीं देश के पास केवल 15 दिनों का आयात कराने का पैसा था।जानकारी के अनुसार संस्मरण ‘अडवाइज ऐंड डिसेंट’ में पूर्व गवर्नर VIP रेड्डी ने इस घटना का दिलचस्प विवरण दिया है। सरकार और RBI को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा।आर्थिक संकट से उबरने के लिए सरकार ने सोना गिरवी रखने का फैसला लिया था। इसके लिए उसे देश के सोने को BOI बैंक ऑफ इंग्लैंड तक सुरक्षित तरीके से पहुंचाना था। रिजर्व बैंक और सरकार के पास रखे सोने की कीमत बाजार भाव के हिसाब से तय करनी थी। इसके बाद सोने को Air lift कर बैंक ऑफ इंग्लैंड के वॉल्ट तक पहुंचाना था।रिजर्व बैंक को बैंक ऑफ इग्लैंड को 47 टन सोना पहुंचाना था इसके बदले में उसे 40.5 करोड़ डॉलर की राशि मिलनी थी। इस तरह RBI चालू खाता घाटे को कम करना चाहता था। देश के कुल निर्यात और आयात के बीच के अंतर को चालू खाता घाटा कहते हैं।यह वह दौर था जब मोबाइल फोन तो होते ही नहीं थे और लैंडलाइन फोन बहुत सीमित थे। RBI से जिस वैन में सोना Airport भेजा जाना था, उसका टायर बीच रास्ते में फट गया। सोने से भरा वाहन जैसे ही रास्ते में रुका, तो उसकी सुरक्षा में तैनात आधा दर्जन जवानों ने उसे चारों ओर से घेर लिया।‘अडवाइज ऐंड डिसेंट’ में रेड्डी ने बताया कि सुरक्षा कर्मियों की इस कार्रवाई से Van के आसपास कई लोग जुटने लगे। अच्छा था कि किसी के पास उस दौरान Smartphone नहीं था कि वह फोटो क्लिक कर उसे ट्विटर पर ट्वीट कर पाएं। हालांकि, एयरपोर्ट पर किसी के कैमरे ने उस पाल को कैद कर लिया था। ये बात बेहद दिलचस्प है। मगर ये भी है भारत उस समय बेहद मंदी से दौर से गुजर रहा था।