New Delhi: भारत एक ऐसा देश है जहाँ इमारतों से लेकर बाग़ बगीचों, हिल स्टेशन और धार्मिक स्थल का अनूठा संग्रह देखने को मिलता है। हज़ारों सालों से अनेकों धर्मों, जातियों को समेटे हुए भारत खूबसूरती की इबारत लिखता रहा है। अभी-अभी: UP की मस्जिद पर फहराया गया तिरंगा, मौलाना ने बोली ये बड़ी बात…
अभी-अभी: UP की मस्जिद पर फहराया गया तिरंगा, मौलाना ने बोली ये बड़ी बात…
ऐसे ही खूबसूरत आलीशान जगहों में ये 5 जगह भी आती हैं जिन्हें भले ही अलग अलग नाम से पुकारा जाए पर हैं ये एक ही शक्ति की रूपरेखा। वो शक्ति जिसने भारत को नई नवेली दुल्हन की तरह अनेकों वादियों से, झीलों से, इमारतों से सजाया है।
तो चलिए इस बार सैर की जाये भारत के 5 आलीशान धार्मिक स्थलों की जहाँ हर साल हज़ारों की तादात में श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर सैंकड़ों मील दूरी का सफर तय करके यहाँ पहुँचते हैं। जिसके कारण यह स्थल लोगों के बीच खासा मशहूर हैं। जहाँ पहुंचकर आप न सिर्फ आस्था से इन जगहों से जुड़ेंगे बल्कि यहाँ का मनोरम दृश्य आपको वहीँ रह जाने को मजबूर कर देगा। एक नज़र में देखें भारत के 5 खूबसूरत वातावरण वाले ऐतिहासिक धार्मिक स्थल।
वैष्णो देवी, जम्मू और कश्मीर
वैष्णो देवी मंदिर जम्मू से लगभग 42 किलोमीटर दूर कटरा नामक स्थान पर स्थित है। वैष्णो देवी मंदिर हज़ारों लाखों की आस्थाओं की धरोहर जम्मू कश्मीर में है। जहाँ साल-भर भारी संख्या में श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में अनेकों कहानियां है कहा जाता है कि देवी वैष्णों इस गुफा में छिपी और एक राक्षस का वध कर दिया था। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण गुफा में रखे तीन पिंड है। मंदिर के पिंड एक गुफा में स्थापित है, गुफा की लंबाई 30 मी. और ऊंचाई 1.5 मी. है।
स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
यह मंदिर अमृतसर नगर के बीचोबीच है। इसे ‘दरबार साहिब’ भी कहा जाता है। यह देश का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं। अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंक दिया, जिससे इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा।
अजमेर शरीफ, अजमेर
जयपुर से करीब 132 किलोमीटर दूर अजमेर सूफी संत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है। हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह एक ऐसा पाक शफ्फाक नाम है जिसे मात्र सुनने से ही रूह को सुकून मिलता है। अजमेर शरीफ में हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की मजार की जियारत कर दरूर-ओ-फातेहा पढ़ने की चाहत हर ख्वाजा के चाहने वालों की होती है। वो एक बार इस दरबार में अपनी हाज़िरी लगाने अवश्य आना चाहते हैं। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों ख्वाजा के दर पर दस्तक देने के बाद उनके जहन में सिर्फ अकीदा और लबों पर शांति अमन का पैगाम ही बाकी रहता है।
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्रप्रदेश
यह मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। वेंकटेश्वर मंदिर भारत के सबसे महत्वपूर्ण आलीशान मंदिरों में से एक हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर के प्रति अटूट रहती है। इस मंदिर की खूबसूरती और वातावरण तारीफ़ करने लायक है।वेंकटेश्वर मंदिर के शिखर पर स्वर्ण पत्थर (सोने का पत्थर) चढ़ा हुआ है। यह मंदिर धार्मिक मान्यता में तो लोकप्रिय है ही साथ ही साथ इसके शिखर पर सोने का पत्थर देखने के लिए भी पर्यटकों की भीड़ उमड़ी रहती है।
महाबोधि मंदिर बोधगया, बिहार
माना जाता है कि महाबोधि मंदिर का निर्माण 5 वीं शताब्दी के पूर्व हुआ था। महाबोधि मन्दिर एक पवित्र बौद्ध धार्मिक स्थल है क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ पर गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। पश्चिमी हिस्से में पवित्र बोधि वृक्ष स्थित है। संरचना में द्रविड़ वास्तुकला शैली की झलक दिखती है। निःसन्देह रूप से यह सबसे पहले बौद्ध मन्दिरों में से है जो पूरी तरह से ईंटों से बना है और वास्तविक रूप में अभी भी खड़ा है। इसी शैली में बनी चार छोटी लाटें केन्द्रीय लाट के चारों ओर स्थित हैं।
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