मॉस्को। भारत ने रूस से दो टूक होकर पाकिस्तान से हुए सैन्य अभ्यास को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। रूस के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन से पहले भारत ने इस संयुक्त अभ्यास को लेकर विरोध दर्ज कराया है। भारत का कहना है कि आतंकवाद परोसने वाले देश के साथ संयुक्त अभ्यास से समस्याएं और बढ़ेंगी
रूसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती से एक इंटरव्यू के दौरान मॉस्को में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कहा कि हमने रूसी पक्ष को अपने इन विचारों से अवगत करा दिया है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश के साथ सैन्य सहयोग किसी भी सूरत से सही नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद वहां की सरकार की नीति में समाया हुआ है लिहाजा इससे केवल समस्याएं पैदा होंगी।
हालांकि रूसी अधिकारियों ने इन चिंताओं को तवज्जो नहीं दी है और कहा कि वे क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी इस तरह के सैन्याभ्यास करते रहे हैं। सरन का कहना है कि आज दुनिया के सामने कुछ ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर ब्रिक्स देश निश्चित रूप से ध्यान देंगे और इनमें आतंकवाद का सवाल और ब्रिक्स समूह के सभी देशों के सामने आतंकवाद के खतरे का विषय शामिल है। इस तरह यह क्षेत्रीय संघर्ष और वैश्विक हालात के अलावा सम्मेलन में विचार-विमर्श का प्रमुख मुद्दा होगा।
भारतीय राजदूत का यह बयान उस वक्त आया है जब इसी शनिवार को गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की द्विपक्षीय बैठक होनी है। इसके लिए पुतिन 14 अक्टूबर को भारत आएंगे।पुतिन इस दौरान द्विपक्षीय बैठक के अलावा 16 अक्टूबर को ब्रिक्स सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे।