भारत और कनाडा के रिश्तों पर पिछले डेढ़ वर्ष से भी ज्यादा वक्त से जमीं बर्फ सोमवार को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई हुई मुलाकात में पिछल गई। अलबर्टा (कनाडा) में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में विशेष मेहमान के तौर पर आमंत्रित पीएम नरेन्द्र मोदी और कनाडा के पीएम मार्के कार्नी के बीच तकरीबन 40 मिनट बैठक चली।
इसमें सबसे पहले इस बात पर सहमति बनी कि दोनों देशों की राजधानी में उच्चायुक्तों की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाएगी। इसके बाद उच्चायोग में राजनयिकों की संख्या बढ़ाने व अपने अपने उच्चायोगों के काम काज को सामान्य बनाया जाएगा।
साथ ही मुक्त कारोबार समझौते (एफटीए) पर थमी बातचीत भी शुरू करने की सहमति बनी। मोदी और कार्नी के बीच आपसी सहयोग के दूसरे अन्य सभी मुद्दों पर भी बात हुई है।
कार्नी के साथ पीएम मोदी की मुलाकात
कार्नी के साथ मुलाकात में पीएम मोदी ने कहा कि, “भारत के लिए कनाडा के साथ संबंध बहुत महत्वपूर्ण है। हम दोनों मिल कर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाने का का करेंगे। मानवता के लिए काम करेंगे। हम अनेक क्षेत्रों में प्रगति करेंगे।” कार्नी ने कहा कि, “हमें पीएम मोदी का स्वागत करते हुए गर्व है। हम प्रौद्योगिकी, एआइ, ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग में काम करेंगे।”
बैठक के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि, “बैठक में भारत व कनाडा के रिश्तों की अहमियत पर बात हुई है। दोनों देशों में काफी कुछ समान्य है। पीएम मोदी ने रिश्तों को सामान्य बनाने पर खास तौर पर जोर दिया। स्वच्छ ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, डिजिडल इंफ्रास्ट्र्कचर, एआइ, बहुमूल्य धातुओं और सप्लाई चेन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात हुई। दोनों नेताओं ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि स्थगित कारोबारी वार्ता को शीघ्र शुरू किया जाए।”
भारत पर लगाए थे बेबुनियाद आरोप
कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रुडो ने भारत पर अपने देश के कुछ नागरिकों की हत्या कराने का आरोप लगाया था। यह आरोप खालिस्तानी आथंकवाद हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद लगाये गये थे। इससे दोनों देशों के रिश्ते लगातार खराब होते गये। पिछले साल दोनों ने एक दूसरे के उच्चायुक्तों व अन्य वरिष्ठ राजनियकों को देश से बाहर कर दिया था।
मोदी तीन देशो की यात्रा पर अभी हैं। पहले वह साइप्रस गये थे, उसके बाद कनाडा और अंतिम चरण में मंगलवार शाम तक क्रोसिया पहुंचेंगे। कनाडा में पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों व जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्क के साथ द्विपक्षीय बैठक की जबकि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-मुंग, आस्ट्रेलिया के पीएम एंटोनी अलबनिजी, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरल रामाफोसा, इटली की पीएम जोर्जियो मेलोनी समेत दूसरे अन्य राष्ट्र प्रमुखों के साथ भी बैठक की।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भी उनकी मुलाकात संभावित थी लेकिन उनके समय से पहले ही वापस अमेरिका लौट जाने की वजह से ऐसा नहीं हो सका। बैठक में पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता विवाद काफी छाया रहा।
जी-7 के सदस्य देशों और इस बैठक में विशेष तौर पर आमंत्रित देशों के नेताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने आतंकवाद और एआइ व डीपफेक के बढ़ते खतरे को खास तौर पर उठाया। उन्होंने कहा कि, “वैश्विक शांति व समृद्धि के लिए हमारी सोच व नीति स्पष्ट होनी चाहिए। यदि कोई भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।”
आतंकवाद पर दोहरा रवैया अपनाने पर कड़ा प्रहार
इस संदंर्भ में मोदी ने अमेरिका व पश्चिमी देशों की तरफ से आतंकवाद पर दोहरी नीति अपनाने पर भी करारा प्रहार किया और कहा कि, “एक तरफ तो हम अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर भांति-भांति के प्रतिबंध लगाने में देर नहीं लगाते। दूसरी ओर, जो देश खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करते हैं हम उन्हें पुरस्कृत करते हैं।”
साफ है कि उनका इशारा हाल ही में पाकिस्तान को आइएमएफ व विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिले आर्थिक मदद की तरफ है। 22 अप्रैल, 2025 को पाक समर्थिक आतंकवादियों की तरफ से पहलगाम में हमला करने के बाद भारत ने आपरेशन सिंदूर चलाया था। इसके तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों और सैन्य ठिकानो पर निशाना साधा गया था।