चीन सहित दुनिया के अन्य देशों से भारत में अकेले कोरोना वायरस ही नहीं आया है। जो लोग विदेशों से भारत वापस आए हैं उनमें 8 और श्वसन से जुड़े वायरस आए हैं।
यह खुलासा भारतीय वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में हुआ है। जिसमें सरकार से अपील की गई है कि भारत आने वालों की स्क्रीनिंग में अन्य वायरस की जांच भी शामिल की जाए।
केरल और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने जनवरी से फरवरी के बीच भारत आए 362 लोगों के सैंपल पर जब अध्ययन शुरू किया तो इनमें से 84 लोग संक्रमित मिले हैं। जिनमें से सिर्फ 4 लोगों में ही सार्स कोरोना वायरस मिला है।
बाकी लोगों में अन्य तरह के श्वसन वायरस मिले हैं जिनके लक्षण एक समान हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह श्वसन तंत्र से जुड़े संक्रमण है।
इनमें से कुछ भारत में पहले भी मिल चुके हैं अगर एहतियात न बरती जाए तो यह संक्रमण नुकसानदायक भी हो सकते हैं।
22 जनवरी से 29 फरवरी के बीच 362 सैंपल देश के विभिन्न एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान लिए गए थे। इनकी आरटी पीसीआर जांच की गई, तो 3 केरल और 1 दिल्ली निवासी संक्रमित मिला। यह चारों देश के पहले कोरोना संक्रमित मरीज थे जो कि अब स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।
हालांकि बाकी लोगों में इनफ्लुएंजा ए, बी, मानव कोरोनावायरस, राइनोवायरस, एडिनो और पैरा इनफ्लुएंजा वायरस भी मिले हैं।
84 लोगों में एक या एक से ज्यादा श्वसन से जुड़े वायरस मिले हैं। अन्य 10 लोगों में सह संक्रमण और बाकी 278 नेगेटिव मिले थे। कोरोना वायरस भी श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है। 41 से 50 आयु के लोगों में संक्रमण का असर मिला है।
वैज्ञानिक डॉक्टर वर्षा पोतदार के अनुसार, पॉजिटिव 57 लोगों में कफ प्रमुख लक्षण था। 48 लोगों में बुखार, 42 को गले में दर्द, 29 को जुकाम की परेशानी थी।
संक्रमित में से 12 के सैंपल में एंटीवायरल और 31 के सैंपल में एंटीबायोटिक्स भी मिली है। बाहर से आने वाले लोगों में कोरोना के अलावा अन्य संक्रमण का पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया गया था।
अध्ययन के अनुसार, 22 जनवरी से 7 फरवरी तक लिए गए सैंपल सबसे ज्यादा संक्रमित मिले थे। नेशनल इन्फ्लूएंजा सेंटर सहित सात समूह में शामिल वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन पूरा किया है।
इनफ्लुएंजा ए
25 यात्रियों में यह वायरस मिला है। इसे फ्लू नाम से भी जानते हैं। यह सीधे श्वसन तंत्र पर अटैक करता है। इसकी शुरुआत खासी, जुखाम और हल्के बुखार के साथ होती है। ध्यान ना दिया जाए तो यह बीमारी घातक रूप धारण कर लेती है।
इनफ्लुएंजा बी
ए की ही तरह इनफ्लुएंजा वायरस होता है जो कि 7 लोगों में मिला है। हालांकि की तुलना में यह वायरस मंद होता है।
मानव कोरोनावायरस
21 लोगों में यह वायरस मिला है। दुनिया में अब तक 7 तरह का कोरोनावायरस मिल चुका है। लेकिन अभी जो चल रहा है वह इससे अलग है।
राइनो वायरस
विदेशों से आए 15 लोगों में यह वायरस मिला है। कोविड-19 की तरह इसका असर भी 5 दिनों बाद दिखाई देता है। फ्लू जैसे ही लक्षण मिलते हैं।
एडिनो वायरस
चार लोगों में यह वायरस मिला है। इस वायरस के लक्षण भी सर्दी, जुकाम बुखार इत्यादि हैं। हालांकि सतर्कता बरतने से बचाव किया जा सकता है।
पैरा इनफ्लुएंजा (पीआईवी)
यह संक्रमण आमतौर पर सर्दियों में मिलता है। 10 लोगों में यह वायरस मिला है। इसके लक्षण भी अन्य तरह के फ्लू की भांति मिलते हैं।
आरएसवी
श्वसन से जुड़ा यह संक्रमण 6 लोगों में पाया गया। सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण शामिल हैं।
मैटानिमो
मानव मैटाफिनोमी वायरस दो लोगों में मिला है। यह ऊपरी या निचले श्वसन रोग का कारण बन सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर यह वायरस गंभीर रूप ले सकता है।