भाई-बहन के प्रेम एवं सौहार्द का प्रतीक रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सावन की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।
भाई-बहन के प्रेम एवं सौहार्द का प्रतीक रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सावन की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस बार भद्राकाल में पूर्णिमा शुरू हो रही है। इस नाते रक्षा सूत्र भद्राकाल में नहीं बांधा जाएगा। ऐसे में रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त भी शाम रात से शुरू हो रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय ज्योतिष विज्ञान के प्रो. विपिन कुमार पांडेय के मुताबिक 11 अगस्त को सुबह 8:50 से भद्राकाल में पूर्णिमा शुरू हो जाएगी। रात 8:25 बजे तक भद्रा वास रहेगा। ऐसे में रक्षा सूत्र नहीं बांधा जा सकता। रात 8:25 से अगले दिन 12 दिसंबर को सुबह 7:16 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दौरान कभी भी रक्षासूत्र बांधा जा सकता है।
शुभ मुहूर्त
- उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के मुताबिक इस वर्ष व्रत के लिए पूर्णिमा का मान 11 अगस्त गुरुवार को सुबह 9:35 बजे शुरू हो जाएगा। यह अगले दिन 12 अगस्त शुक्रवार को सुबह 7:16 बजे तक रहेगा। व्रत के लिए पूर्णिमा का मान 11 अगस्त को ही होगा एवं स्नान दान सहित श्रावणी पूर्णिमा उदय कालिक तिथि 12 अगस्त को होगा। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि में भद्रा का वास 11 अगस्त को दिन में 9:35 बजे से रात 8:25 बजे तक रहेगा। इसमें रक्षा बंधन से संबंधित कार्य नहीं होंगे। भद्रा रात में 8:25 बजे के बाद खत्म होने पर ही शेष पूर्णिमा काल मे रक्षाबंधन का कार्य किया जा सकता।
उदया तिथि मानने वालों के लिए शुभ मुहूर्त
- उदया तिथि मानने वाले परंपरा के अनुसार श्रावणी उपाकर्म 12 अगस्त करेंगे। ज्योतिषाचार्य कामता प्रसाद शर्मा के मुताबिक भद्रा काल में कभी भी रक्षा सूत्र न बांधे। भद्रा 11 अगस्त को सुबह 935 से रात 825 बजे तक है। 11 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा सुबह 935 बजे से प्रारंभ हो जाएगी और यह दूसरे दिन 12 अगस्त को सबेरे 825 बजे तक रहेगी। अभिजीत मुहूर्त दिन में 1200 बजे से और 1248 तक रहेगा। इस समय राखी बांध सकते हैं।