भद्रा पाताल लोक में होने से गणेश स्थापना में अब कोई रोड़ा नहीं...

भद्रा पाताल लोक में होने से गणेश स्थापना में अब कोई रोड़ा नहीं…

रायपुर। रक्षाबंधन के बाद अब 25 अगस्त को पड़ रही गणेश चतुर्थी पर भी भद्रा का योग है। गणेश प्रतिमाएं स्थापित करने वाली समितियों के सदस्यों में असमंजस की स्थिति है कि आखिर प्रतिमा की स्थापना किस मुहूर्त में की जाए।भद्रा पाताल लोक में होने से गणेश स्थापना में अब कोई रोड़ा नहीं...अमेरिका की पाकिस्तान को मिली अब बड़ी चेतावनी-आतंक के लिए अपना घर इस्तेमाल ना….

समिति वाले पंडित-पुजारियों से खास मुहूर्त के बारे में जानकारी ले रहे हैं। पंडितों का मानना है कि चूंकि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं, इसलिए चतुर्थी के दिन किसी भी समय प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है।

इसके बावजूद जो लोग मुहूर्त को खास महत्व देते हैं, वे लोग भी भद्रा की चिंता न करें, क्योंकि भद्रा का वास पाताल लोक में है और जब भद्रा, पाताल लोक में हो तो शुभ कार्य करने में किसी तरह का रोड़ा नहीं आता।

सुबह से लेकर रात तक अनेक मुहूर्त में स्थापना की जा सकती है। ज्योतिषी पं.दयानंद शास्त्री के अनुसार भगवान गणेश का जन्म मध्या- काल में हुआ, इसलिए गणेश पूजा के लिए मध्या- काल सर्वश्रेष्ठ है। पंचांग के आधार पर सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पांच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है।

इन पांच भागों को क्रमश: प्रात:काल, सङ्गव, मध्या-, अपरा- और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्या- के दौरान की जानी चाहिए। कृष्ण पर लगा था कीमती रत्न चोरी करने का आरोप शास्त्रीय मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।

इस दिन चन्द्रमा का दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है। पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। नारद ऋषि ने उन्हें बताया था कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा देखने की वजह से मिथ्या दोष भुगतना पड़ा है।

यह भी बताया था कि भगवान गणेश ने चन्द्रदेव को श्राप दिया था कि जो भी भाद्रपद चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन करेगा उसे मिथ्या दोष लगेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जाएगा। नारद की सलाह पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी का व्रत किया था।

भूलवश चंद्रमा को देख लें तो यह मंत्र पढ़ें

चतुर्थी तिथि शुरू होने से लेकर खत्म होने तक चन्द्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। यदि भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जाएं तो मिथ्या दोष से बचाव के लिए निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए

‘सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।

सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकर:”

गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त

– सिंह लग्न में – सूर्योदय से लेकर सुबह 7.20 बजे तक

– वृश्चिक लग्न में – मध्या- 11.45 से दोपहर 2 बजे तक

– कुंभ लग्न में – शाम 5.50 से 7.30 बजे तक

– वृषभ लग्न में – रात 10.40 से 12.40 बजे तक

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