राजस्थान में जारी सियासी हलचल पर हाई कोर्ट ने सचिन पायलट गुट को 24 जुलाई तक की मोहलत मिल गई है.
हाई कोर्ट ने स्पीकर सीपी जोशी से कहा कि आप 24 जुलाई तक अपनी कार्रवाई कर दें. अब हाई कोर्ट 24 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगा.
सचिन पायलट गुट की ओर से विधानसभा स्पीकर के नोटिस के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई शुरू हुई थी, अब मंगलवार तक सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं. राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार दोपहर 12 बजे सुनवाई पूरी हुई.
आज शाम मुख्यमंत्री आवास पर कैबिनेट की बैठक होगी. बैठक में प्रदेश में कोरोना की स्थिति, राजस्थान की वित्तीय स्थिति, कोरोना के दौर में सोशल वेलफेयर योजनाएं पर चर्चा होगी.
हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. हाई कोर्ट ने स्पीकर से कहा कि आप 24 जुलाई तक विधायकों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को स्थगित कर दें.
कांग्रेस विधायक दल की बैठक खत्म हो गई है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सीएम आवास पहुंच गए हैं. राजस्थान सरकार के सभी मंत्री भी सीएम आवास आएंगे, जहां 3 बजे से बैठक शुरू होगी.
अब से कुछ देर में एक बार फिर हाईकोर्ट की सुनवाई शुरू होगी. अदालत अब इस याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी.
जयपुर के होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक शुरू हो गई है. इस बैठक में सीएम अशोक गहलोत भी मौजूद हैं.
पायलट गुट की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. दोपहर 2 बजे के बाद अदालत इसपर मामले पर फैसला सुना सकती है.
मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि हम कोरोना संकट के बीच हैं और जवाब देने के लिए तीन दिन का वक्त मिल रहा है. नियमों के मुताबिक इसे सात दिन तक बढ़ाना चाहिए.
मुकुल रोहतगी ने अदालत में दलील दी कि एक तरफ 19 विधायकों को जवाब के लिए 3 दिन का वक्त दिया, दूसरी ओर बसपा के विधायकों को कांग्रेस में लाने पर की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस दौरान मुकुल रोहतगी ने नोटिस पर सवाल उठाते हुए कई मुद्दों का जिक्र किया.
1. नोटिस शिकायत के दिन ही भेजा गया
2. नियमों के मुताबिक वक्त नहीं दिया गया और कम वक्त दिया गया
3. यह किसी तरह साबित नहीं होता कि स्पीकर ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया हो
4. नोटिस के वही सब लिखा गया है जो कुछ शिकायतकर्ता की शिकायत में था
5. नोटिस जारी करने के लिए किसी भी तरह की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई है
6. नोटिस में लिखा गया है कि अगर लिखित में नहीं है तो एक तरफा कार्रवाई होगी
कांग्रेस विधायक दल की बैठक को कुछ देर के लिए टाल दिया गया है. अब 11.30 बजे के बाद ही बैठक शुरू होगी.
सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने यहां कहा कि आया राम-गया राम को रोकने के लिए दल बदल कानून बना था, लेकिन स्पीकर का नोटिस दसवें शेड्यूल को रोकने वाला है.
सचिन पायलट गुट की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट की शक्तियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है, अदालत को इस मामले को सुनने का अधिकार है. हर मामले को अलग तर्कों के साथ देखना चाहिए.
हाईकोर्ट में पायलट गुट की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है. आज पायलट गुट की ओर से ही दलीलें रखी जाएंगी. सचिन पायलट गुट की ओर से मुकुल रोहतगी ने अपनी बात रखनी शुरू कर दी है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज एक बार फिर कांग्रेल विधायक दल की बैठक बुलाई है. ये बैठक उसी होटल में होगी, जहां पर विधायक ठहरे हुए हैं.
राजस्थान के मुख्य सचिव आज केंद्र सरकार को टेलीफोन टेपिंग के मामले में जवाब सौंपेंगे. सरकारी सूत्रों के अनुसार, राजस्थान सरकार ने कहा है कि वह संजय जैन का टेलीफोन टेप कर रहे थे क्योंकि उसकी गतिविधियां संदिग्ध थी. हमने किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का टेलीफोन टेप नहीं किया है.
स्पीकर के द्वारा सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को नोटिस दिया गया, जिसके खिलाफ याचिका दायर की गई है. सोमवार को सचिन पायलट गुट की ओर से हरीश साल्वे की बहस पूरी हुई और फिर स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी बात रखी. सिंघवी ने दलील दी है कि अभी स्पीकर ने किसी विधायक को अयोग्य घोषित नहीं किया है, ऐसे में अदालत का हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है.
कानूनी लड़ाई से इतर राजस्थान में जुबानी जंग जारी है. सोमवार को अशोक गहलोत ने कहा कि उन्हें पता था कि सचिन पायलट निकम्मा है और नाकारा है, वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे. राजस्थान के सीएम ने कहा कि पिछले लंबे वक्त से वो नोटिस कर रहे थे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही सचिन पायलट को अपनी सरकार गिराने में दिलचस्पी थी.
इस बड़े हमले के बाद सचिन पायलट का एक बयान भी सामने आया, जहां उन्होंने कहा कि उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, सचिन पायलट का ये बयान अशोक गहलोत नहीं बल्कि उस विधायक को लेकर था जिसने सचिन पायलट पर 35 करोड़ रुपये का ऑफर देने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से कई बार सचिन पायलट से पार्टी में वापसी की अपील की जा चुकी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अशोक गहलोत विरोध कर रहे हैं. ऐसे में अब अदालत पर निगाहें हैं, क्योंकि अगर बहुमत साबित करने की बात आती है तो गहलोत सरकार के सामने संकट हो सकता है. क्योंकि अभी अशोक गहलोत के पास सिर्फ बहुमत जितने या एक अधिक समर्थन है, ऐसे में अंतिम वक्त पर कुछ विधायक इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में आ सकती है.