देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए भारत सरकार ने 24 मार्च को वेंटिलेटर्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, सरकार को डर था कि देश में ज्यादा कोरोना फैलने पर वेंटिलेटर्स की कमी हो सकती है. लेकिन अब सरकार ने वेंटिलेटर के निर्यात पर लगा बैन हटा लिया है.
दरअसल पिछले एक महीने से एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AIMED) वेंटिलेटर्स के निर्यात से पाबंदी हटाने की मांग कर रही थी. AIMED ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को लिखे पत्र में अगस्त 2020 से वेंटिलेटर निर्यात की इजाजत देने की मांग की थी.
अब सरकार ने वेंटिलेटर के निर्यात को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि अभी कोरोना मृत्यु दर 2.15 फीसदी है, इसे और कम करने की कोशिश की जा रही है.
उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर्स की बहुत कम जरूरत पड़ रही है. 31 जुलाई को सिर्फ 0.22 फीसदी कोरोना के सक्रिय मामले ही वेंटिलेटर पर थे. इसलिए अगस्त से सरकार ने निर्यात को मजूरी दे दी है.
जुलाई के पहले हफ्ते में AIMED ने बताया था कि जुलाई के आखिर तक निर्माताओं के पास वेंटिलेटर्स की भरमार हो सकती है. क्योंकि प्रोडक्शन जारी है और देश में डिमांड घट रही है. केंद्र और राज्यों की ओर से ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं, निर्माताओं के पास स्टॉक पड़ा है, इसलिए निर्यात की इजाजत मिलनी चाहिए.
सरकार का कहना है कि वेंटिलेटर के निर्यात की इजाजत देने के बाद अब विदेशों में ये वेंटिलेटर नए बाजार खोजने की स्थिति में होंगे. जनवरी की तुलना में वेंटिलेटर के 20 से अधिक घरेलू निर्माता हैं.
वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में लिखा कि भारत में बने वेंटिलेटर दुनिया को कोरोना से लड़ने में मदद कर रहे हैं. अब मोदी सरकार ने वेंटिलेटर्स के निर्यात को मंजूरी दे दी है. यह नई नौकरियां पैदा करेगा और साथ ही इंडस्ट्रियल ग्रोथ को भी बढ़ाएगा.
सरकार के इस कदम में वेंटिलेटर्स निर्माता राहत की सांस ले पाएंगे, क्योंकि देश में करीब 2 महीने से वेंटिलेटर्स की सरकारी खरीद बंद है. वहीं कोरोना संकट के बीच कई बड़ी कंपनियां वेंटिलेटर बना रही हैं.