फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड ने अपनी छह बॉन्ड निवेश कोष योजनाओं को बंद करने के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील लगाई है। उच्च न्यायालय ने निवेशकों से पूर्व मंजूरी लिए बगैर कंपनी के छह ऋण कोष योजनाओं को बंद करने पर रोक लगा दी है।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन के अध्यक्ष संजय सप्रे ने निवेशकों को लिखे एक पत्र में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद म्यूचुअल फंड कंपनी ने पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम समय और क्रमानुसार निवेशकों को धन लौटाने के सभी संभव विकल्पों पर विचार किया है। इसमें निवेशकों की सहमति लेने का विकल्प भी शामिल है।
आगे सप्रे ने कहा कि, ‘काफी गहन विचार-विमर्श के बाद हम इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि निवेशकों के हित में कानून का उपयुक्त अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय से आवश्यक न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की जाएगी। इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि इन कदमों को बहुत सावधानी से सोच-समझकर उठाने की जरूरत है। ताकि निवेशकों का धन जल्द से जल्द और प्रतिभूतियों को दबाव में आए बिना बेचकर लौटाना सुनिश्चित हो सके।’
अक्तूबर में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन ट्रस्टी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के छह योजनओं को बंद करने का निर्णय निवेशकों की मंजूरी लिए बगैर लागू नहीं किया जा सकता। फ्रैंकलिन टेम्पलटन की ये छह योजनाएं- फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बांड फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनामिक एक्यूरल फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉरच्युनिटी फंड हैं। कंपनी ने बॉन्ड बाजार में नकदी की कमी की बात कहते हुए 23 अप्रैल को इन छह योजनाओं को बंद कर दिया जिसका विरोध हो रहा है।