मंदिर का चंदा मांगने डकैत के पास जाऊं तो क्या मैं डकैती में शामिल माना जाऊंगा? ये सवाल दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने दिल्ली पुलिस से उस दौरान पूछा…जब कोर्ट टूलकिट मामले में गिरफ्तार पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि की जमानत पर सुनवाई चल रही थी. कोर्ट अपना फैसला 23 फरवरी को सुनाएगा.
देशविरोधी साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. लेकिन उससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और दिशा रवि की तरफ से जो दलीलें रखी गईं. उनके आधार पर अडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने दिल्ली पुलिस से कुछ तीखे सवाल भी पूछे.
दिशा रवि के वकील एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने भी अपनी दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन भारत में बैन नहीं है. सवाल ये है कि क्या सड़कों पर उतरे लोग टूलकिट की कॉपी जेब में रखकर आए थे? हिंसा के लिए टूलकिट जिम्मेदार है, इसका कोई सबूत नहीं है.
टूलकिट के जरिये सिर्फ लोगों को आगे आने, मार्च में हिस्सा लेने और वापस घर जाने के लिए कहा गया था. अगर मैं लोगों को मार्च में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करूं तो क्या ये देशद्रोह हो जाएगा? अगर मैं लोगों से कहूं कि आप किसी रैली में हिस्सा लीजिये तो क्या ये मुझे आज देशद्रोही साबित कर देगा? टूलकिट में लोगों को सरकारी दफ्तरों पर इकट्ठा होने के लिए कहा गया..क्या ये देशद्रोह है?
इसके बाद कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील ASG सूर्यप्रकाश वी. राजू ने दलीलें पेश कीं. उन्होंने कहा कि टूलकिट के पीछे साजिश साफ नजर आती है. यह आपको ऐसी साइटों पर ले जाया गया जो इंडियन आर्मी को बदनाम करती हैं. सरकारी वकील ने कहा कि केस ये नहीं है कि दिशा रवि खालिस्तानी हैं लेकिन उनके खालिस्तानियों से लिंक हैं.
सरकारी वकील ने दलील दी कि दिशा रवि, पॉएटिक जस्टिस फाउंडेशन की कथित तौर पर सदस्य हैं. उन्होंने किसान आंदोलन को सपोर्ट करने के नाम पर एक ग्रुप बनाया, ऐसे में आरोपी के खिलाफ राजद्रोह का आरोप बनता है. सरकारी वकील ने कहा कि दिशा रवि को पता था कि किस प्रकार लोगों को भ्रमित किया जा सकता है. हिंसा फैला रहे उपद्रवियों की जेब से टूलकिट नहीं पाए गए. लेकिन वो उस टूलकिट को पढ़कर आक्रोशित हुए थे.
कई घंटे चली सुनवाई के दौरान सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील के बीच लंबी बहसबाजी भी हुई. सरकारी वकील ने कहा कि दिशा रवि पुलिस से झूठ बोल रही हैं. अभी पुलिस को दूसरे आरोपियों के साथ दिशा का सामना करवाना है. फोन, लैपटॉप आदि से मिटाए गए मटेरियल को रिकवर करना है.
दिशा रवि के वकील ने कहा कि पांच दिन की कस्टडी में आप मुझे एक बार भी बेंगलुरु नहीं ले गए कि कहां कोई मोबाइल छिपाकर रखा गया है. लेकिन अदालत में आप ये कहते हैं कि दूसरे मोबाइल या लैपटॉप हो सकते हैं, जिन्हें बरामद किया जाना है.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई कर रहे अडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा दिल्ली पुलिस से कुछ सवाल पूछे. जज ने पूछा- ये चाय और योग वाले पॉइंट से आप असल में क्या कहना चाहते हैं? सरकारी वकील ने कहा- ये किट सिर्फ भारतीय योग और चाय को टारगेट नहीं करती बल्कि भारत के सिंबल्स को भी टारगेट करती है.
जज ने पूछा कि आखिर टूलकिट है क्या? इसके जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि टूलकिट के जरिए इंडिया गेट पर झंडा फहराने वाले के लिए लाखों का इनाम रखा गया. सरकारी वकील ने कहा कि ये संगठन किसान आंदोलन की आड़ में अपना मकसद साधने में लगा था.
कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि आपने दिशा के खिलाफ क्या-क्या मटेरियल एकत्र किया है? जिसपर सरकारी वकील ने कहा कि – दिशा रवि को लेकर दिल्ली पुलिस के पास पर्याप्त सामग्री है. दिशा रवि ने टूलकिट में एडिट किया है. जज ने पूछा कि ऐसे क्या सबूत हैं कि टूलकिट का संबंध 26 जनवरी की हिंसा से है? सरकारी वकील ने कहा कि अगर कोई खालिस्तानी समर्थक कहीं लिखकर हिंसा करने की प्लानिंग करता है और बाद में एक दम वैसा ही होता है तो शक तो होगा ही. फिलहाल इसकी अभी जांच चल रही है.
सरकारी वकील की दलीलों के बाद कोर्ट ने कहा कि तो बेसिकली ये टूलकिट नहीं था बल्कि एक मुखौटा था. जज ने कहा कि मान लीजिए मैं एक आंदोलन से जुड़ा हुआ हूं और मैं कुछ लोगों से किसी इरादों के साथ मिलता हूं, तो आप मेरे लिए एक ही इंटेशन कैसे रख सकते हैं? जज ने आगे कहा कि अगर मैं मंदिर दान के लिए किसी डकैत से संपर्क करता हूं, तो आप कैसे कहते हैं कि मैं डकैती में भी साथ हूं? इसके बाद कोर्ट ने दिशा रवि की जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया..अदालत अपना फैसला 23 फरवरी को सुनाएगी.