कोई रॉकेट फेल हो जाए तो उसे मरम्मत करके दोबारा नया जैसा बनाकर लांचिंग पैड पर उतारना बहुत बड़ी बात है। ये भारत का ‘वर्कहॉर्स रॉकेट’ है जिसके फेल होने से भारत की दिक्कतें बहुत बढ़ जाती हैं।
इस रॉकेट में खास बात ये है कि ये 30 मिनट के मिशन में उपग्रहों को छोड़ने के बाद दो घंटे और चलेगा। इन दो घंटों में रॉकेट की ऊंचाई कम की जाएगी और एक नई कक्षा में नया उपग्रह छोड़ा जाएगा। ये एक अलग किस्म का मिशन है। इस बार पीएसएलवी के साथ भारत का एक माइक्रो और एक नैनो उपग्रह भी है जिसे इसरो ने तैयार किया है। इसमें सबसे बड़ा उपग्रह भारत का कार्टोसैट 2 सीरीज का उपग्रह है।
28 अन्य उपग्रह इसमें सहयात्री की तरह हैं। इनमें अमरीका, ब्रिटेन, फिनलैंड, दक्षिण कोरिया के उपग्रह भी शामिल हैं। ऐसे उपग्रह छोड़ने से इसरो की थोड़ी कमाई भी हो जाती है। शुक्रवार के लांच में भारत ने एक खास उपग्रह छोड़ा है जिसका नाम कार्टोसैट-2 है। इसे ‘आई इन द स्काई’ यानी आसमानी आंख भी कहा जा रहा है। ये एक अर्थ इमेजिंग उपग्रह है जो धरती की तस्वीरें लेता है। इसका भारत के पूर्वी और पश्चिमी सीमा के इलाकों में दुश्मनों पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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