बड़ी खबर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिक टॉक को बैन करने का फैसला किया

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना के बाद से ही चीन से काफी नाराज हैं. कई बार मीडिया से रूबरू होते हुए भी डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर निशाना साधा है और वायरस फैलाने के लिए सीधा उसी को जिम्मेदार ठहराया है.

अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिक टॉक को बैन करने का फैसला कर लिया है. ट्रंप ने कहा कि एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के साथ 24 घंटे में अमेरिका में टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.

इससे पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में टिक टॉक बैन करने का फैसला कर लिया था. उन्होंने बताया था कि अमेरिका में भी टिक टॉक पर बैन लगाया जा सकता है.

ट्रंप ने कहा था, ‘हमारा प्रशासन भी टिक टॉक पर एक्शन लेने के लिए इसका मूल्यांकन कर रहा है. एक प्रचलित चीनी वीडियो ऐप अब राष्ट्रीय सुरक्षा और सेंसरशिप के मुद्दे का एक स्रोत बन गई है.’

ट्रंप का बयान उन रिपोर्ट्स के बाद आया है जिसमें कहा गया था बाइट डांस टिक टॉक को बेच सकता है और कंपनी माइक्रोसॉफ्ट से इस बारे में बात भी कर रही है.

ट्रंप ने रिपोर्टर्स से बात करते हुए कहा था कि हम टिक टॉक को देख रहे हैं. हम इसे बैन भी कर सकते हैं. हम कुछ और भी कर सकते हैं. हमारे पास कई दूसरे विकल्प भी हैं. बहुत सारी चीजें हो रही हैं. इसलिए हम देखेंगे कि क्या हो सकता है.

कई विदेशी मीडिया न्यूज एजेंसी की खबरों के मुताबिक, जल्द ही बाइटडांस खुद को टिक टॉक से अलग होने के बारे में घोषणा कर सकता है. अमेरिका की कई बड़ी टेक कंपनी और फाइनेंशियल फर्म की टिक टॉक के खरीदने की खबरें आई हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स और फॉक्स न्यूज ने सूत्रों का हवाला देते हुए शुक्रवार को बताया था कि माइक्रोसॉफ्ट टिक टॉक को खरीद सकता है और कंपनी इस बाबात बातचीत भी कर रही है.

टिक टॉक ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा था, ‘हम अटकलबाजी और अफवाहों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, हम टिक टॉक की लंबी कामयाबी में विश्वास रखते हैं.’ बाइटडांस ने 2017 में टिक टॉक लॉन्च की थी. बहुत कम समय में ये युवाओं के बीच प्रचलित हो गई. भारत में पहले ही टिक टॉक को बैन कर दिया गया है.

कंपनी पर कई बार यूजर्स का डाटा चीनी अधिकारियों के साथ शेयर करने का आरोप लग चुका है. चीन के स्वामित्व से पीछा छुड़ाने के लिए कंपनी ने अमेरिकी सीईओ, पूर्व टॉप डिजनी एग्जीक्यूटिव को हायर किया था. कंपनी ने अपनी सफाई में कहा था कि वह चीनी सरकार को बिल्कुल भी अमेरिका के यूजर्स का डाटा नहीं देता और न ही ऐसा भविष्य में करेगा.

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