ब्रिटेन में टेरीजा मे सरकार ने हार की आशंका से ब्रेक्जिट पर संसद में मंगलवार को होने वाला मतदान टाल दिया है। प्रधानमंत्री टेरीजा ने ऐसा प्रस्ताव को लेकर सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी में असंतोष पैदा हो जाने और सरकार को समर्थन दे रही डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (डीयूपी) की स्पष्ट चेतावनी के बाद किया।
यूरोपीय यूनियन (ईयू) से अलग होने की प्रक्रिया में सरकार के इस फैसले से उसकी विश्वसनीयता को जबर्दस्त झटका लगा है। संसद में सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा चल निकली है और ब्रिटिश मुद्रा पाउंड में गिरावट दर्ज की गई है। इस बीच ब्रसेल्स में यूरोपीय यूनियन ने साफ कर दिया है कि ब्रेक्जिट पर ब्रिटेन के साथ अब दोबारा वार्ता नहीं होगी। 29 मार्च, 2019 संबंध विच्छेद की तय तारीख है।
सरकार के ब्रेक्जिट मसौदे को लेकर सांसदों के तीखे रुख के चलते टेरीजा ने अचानक मंगलवार के मतदान से पीछे हटने का फैसला किया। पता चला है कि सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने इस मुद्दे पर विपक्ष से हाथ मिला लिया था। रविवार को टेरीजा ने अपनी पार्टी के असंतुष्ट सांसदों को चेतावनी दी थी कि प्रस्ताव पर उनके विरोध से सरकार गिर सकती है और विपक्षी लेबर पार्टी को सत्ता में आने का मौका मिल सकता है।
विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि टेरीजा का ब्रेक्जिट के लिए तैयार मसौदा ऐसी बर्बादी पैदा करने वाला था कि सरकार को हार के डर से मतदान से पीछे हटना पड़ा।
इस बीच यूरोपीय यूनियन की अदालत ने व्यवस्था दी है कि ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन छोड़ने के फैसले से पीछे हट सकता है। इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं होगा। टेरीजा सरकार ने अदालत के फैसले को औचित्यहीन बताया है।
कहा है कि ब्रेक्जिट प्रक्रिया को रोकने का उसका कोई इरादा नहीं है। आलोचकों का मानना है कि सरकार ब्रेक्जिट प्रक्रिया को लंबा कर सकती है। वह यूरोपीय यूनियन से बाहर आने के लिए बातचीत के वास्ते और समय ले सकती है।
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