होली की उमंग और तरंग को बढ़ाने के लिए परंपरागत रूप से ठाकुर बांके बिहारीजी महाराज को मेवा युक्त ठंडाई का सेवन कराया जाता है। यह क्रम रंगभरनी एकादशी से पूर्णिमा तक चलता है। प्रतिदिन इस प्रसाद को गोस्वामीजन तथा भक्तजन ग्रहण करते हैं। ठंडाई पीने के बाद ठाकुर बांके बिहारी महाराज भक्तों के साथ होली में मगन हो जाते हैं।
ब्रज में होली का विशेष महत्व है। होली पर मेवायुक्त ठंडाई का सेवन भी परंपरागत है। इसमें काली मिर्च आदि का भी सेवन किया जाता है। हुरियारे का वेश धारण कर भक्तों के साथ होली खेलने वाले ठाकुर बांके बिहारी लाल को गोस्वामीजनों द्वारा मेवा युक्त ठंडाई का भोग लगाया जाता है।
दर्शन खुलने से पहले ही ठाकुर जी की रसोई में ही इसे गोस्वामीजनों द्वारा तैयार किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार के मेवा मिलाए जाते हैं। ठंडाई का बिहारी जी को सेवन कराया जाता है। इस ठंडाई को सभी गोस्वामीजन और भक्तगणों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है।
रविवार को भी बिहारी जी ठंडाई घोटने वाले गोस्वामीजनों में कन्हैयालाल गोस्वामी के अलावा दिनेश गोस्वामी, विजय कृष्ण गोस्वामी, संदीप गोस्वामी, राजू गोस्वामी, बंशी गोस्वामी शंशाक गोस्वामी, दीपांश गोस्वामी, घनश्याम गोस्वामी, गोपेश गोस्वामी, उमंग गोस्वामी,आभास गोस्वामी तथा लकी गोस्वामी प्रमुख थे।
सायंकालीन सेवा में इन सभी गोस्वामीजन द्वारा ठंडाई का भोग लगाया गया और जमकर गुलाल उड़ाया। सेवायत गोस्वामीजनों द्वारा होली खेलने के बाद बीच-बीच में भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद का भी भोग लगाया जाता है।
सेवायत कन्हैयालाल गोस्वामी ने बताया कि यह ठंडाई तो परंपरागत रूप से ठाकुर जी को दी ही जाती है उसके अलावा प्रतिदिन ठाकुर जी को जलेबी का प्रसाद भी लगाया जाता है। यह जलेबी भी ठाकुर जी की रसोई में ही तैयार की जाती है। यहां पर जलेबी का विशेष प्रसाद लगाया जाता है।
ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज जब होली खेलकर थक जाते हैं तो आरती के पश्चात सेवायत गोस्वामीजन द्वारा उनकी गुलाब और अंबर के इत्र से श्री अंग पर मालिश की जाती है।
मालिश के बाद ठाकुर जी को शयन कराया जाता है। ठाकुरजी का इशारा पाकर यहां पर भी गोस्वामीजन द्वारा उनकी चरण सेवा की जाती है और इसके बाद ठाकुर जी शयन करने लगते हैं। यह जानकारी देते हुए चन्द्र प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि मौसम के अनुसार होली पर ठाकुर जी को गुलाब और अंबर के इत्र की सेवा की जा रही है।