एक तरफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने बढ़ते एनपीए से चिंतित हैं , वहीं दूसरी ओर विभिन्न बैंकों के 2.63 लाख खातों में पड़े 8,864.6 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं मिल रहा है. यह विसंगति हैरान करने वाली है.
इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों में सरकार द्वारा KYC नियमों की सख्ती किये जाने के कारण ऐसे खातों की संख्या बढ़ गई है. अब नये नियमों के तहत खाताधारक के परिजनों को राशि निकालने के लिए करीबी रिश्ता बताने की जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसीलिए बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के खातों में 1,036 करोड़ रुपये, कैनरा बैंक के खातों में 995 करोड़ रुपये और पंजाब नैशनल बैंक के खातों में 829 करोड़ का कोई दावेदार सामने नहीं आया है.
बता दें कि रिजर्व बैंक ने जो ताजा रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार दिसबंर 2016 तक अलग-अलग बैंकों के 2.63 खातों में पड़े 8,864.6 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है. 2012 यानी पिछले चार सालों में इस तरीके का पैसा न केवल दोगुना हो गया है. बल्कि ऐसे खातों की संख्या 1.32 करोड़ से बढ़कर 2016 में 2.63 करोड़ हो गई थी. वहीं 2012 में उनमें जमा 3,598 करोड़ रुपये 2016 में 8,864 रुपये हो गया. अब आरबीआई ने दस साल से जिन खातों का कोई दावेदार सामने नहीं आया है. उनकी सूची तैयार कर वेबसाइट में जारी करने के निर्देश दिए हैं.
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