मार्च के महीने में पिछले साल दस रुपये का सवा किलो बिकता रहा आलू, इस बार बीस रुपये किलो- बेमौसम की बारिश से पैदावार प्रभावित होने के साथ ही हरी सब्जियों को पहुंच रही क्षति.
पीलीभीत : इस बार आलू का भाव चढ़ा हुआ है। वैसे हर साल मार्च के महीने पर आलू का भाव दस रुपये का सवा किलो रहता रहा है,लेकिन इस बार दाम बीस रुपये किलो से नीचे नहीं आ रहे।
सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि अप्रैल, मई में आलू के दाम और बढ़ सकते हैं। दरअसल इस साल बेमौसम की बारिश कई बार हो गई। आलू की पैदावार प्रभावित हो रही है।
अक्टूबर व नवंबर के महीने में नया आलू बाजार में आता है, तब वास्तव में कुछ महंगा बिकता है, क्योंकि इसकी आवक उस समय ज्यादा नहीं होती लेकिन होली के आसपास आलू की आवक खूब होने लगती है। ऐसे में तमाम गृहणियां आलू के पापड़, कचरी, चिप्स आदि बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में इसकी खरीदारी करती हैं।
मगर इस बार होली पर भी आलू बीस रुपये किलो से नीचे नहीं आया। ऐसे में पापड़, कचरी, चिप्स बनाने के लिए लोगों ने कम मात्रा में आलू की खरीद करके काम चलाया।
इन दिनों जब अन्य मौसमी सब्जियां महंगी हो जाता करती हैं, तब निम्न वर्ग के उपभोक्ताओं को आलू राहत देता रहा है। क्योंकि यही एक सब्जी ऐसी होती है, जिसके दाम सबसे कम रहते हैं लेकिन इस बार स्थिति उलट है।
मंडी में थोक कारोबारियों का कहना है कि यहां आलू की आवक सीजन में बदायूं, शाहजहांपुर के जलालाबाद और फर्रूखाबाद से होती रही है। इस बार सर्दी के मौसम में कई बार बारिश हो गई।
ऐसे में तमाम स्थानों पर आलू की पैदावार प्रभावित हुई है। इसी वजह से दाम कम नहीं हुए। अप्रैल और मई में आलू के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बार आलू के दाम हैरान कर रहे हैं। आलू जैसी सब्जी की जरूरत तो रोजमर्रा में सभी परिवारों को होती है। खासकर गरीब वर्ग के लिए परिवारों के लिए तो आलू ही सबसे मुफीद होता है लेकिन इस बार आलू की महंगाई इस वर्ग को भी परेशान कर रही है।
नमिता सक्सेना
इस बार तो होली पर भी आलू के दाम कम नहीं हुए। हर साल दस रुपये किलो से भी भाव नीचे आ जाता रहा है। इस दफा बीस रुपये प्रति किलो की दर से आलू बिक रहा है। आलू जैसी सब्जी की खपत को हर परिवार में होती है।
श्यामली फोटो
आलू इतना महंगा रहेगा, उम्मीद ही नहीं थी। इस बार तो आलू का भाव जैसे बीस रुपये प्रति किलो पर ठहर गया है। दाम कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। इसी वजह से होली पर भी लोगों ने कम मात्रा में आलू की खरीद की।