कांग्रेस बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र में लॉकडाउन जैसे संकट से बचने के लिए हर राज्य में एक कंट्रोल रूम (नियंत्रण कक्ष) और सुविधा केंद्र बनाने का वादा कर सकती है। इसके साथ ही 18 महीनों में सभी सरकारी रिक्तियों को भरने, और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कड़ाई से लागू करने जैसे मुद्दों के शामिल किए जाने की संभावान है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से परिचित लोगों ने यह जानकारी दी है।

पार्टी के घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष आनंद महादेव ने कहा कि चुनाव घोषणापत्र वह दस्तावेज है जिसमें यह बताया जाता है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो अगले पांच वर्षों के लिए पार्टी के वादे, कार्यक्रम और नीतियां क्या होंगी। इस दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जल्द ही इसे जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “हमने बिहार के प्रवासी श्रमिकों के लिए देश के हर राज्य में नियंत्रण कक्ष सह सुविधा केंद्र का वादा किया है ताकि उन्हें संकट में मदद मिल सके। हमने देखा कि बिहार से 35 लाख प्रवासी श्रमिक और उनके परिवार के सदस्य बिना किसी सरकारी मदद के लॉकडाउन की अवधि के दौरान राज्य भर में अपने घरों तक पहुंचने के लिए नंगे पैर चले।”
घोषणा पत्र का शीर्षक “परिर्वतन पत्र” (परिवर्तन के लिए दस्तावेज) रखा गया है। इसमें समान काम के लिए समान वेतन, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, कानून-व्यवस्था में सुधार, उद्योग को पटरी पर लाने और किसानों को फसलों के उचित मूल्य प्रदान करने के बारे में भी बात की जाएगी।
महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के छोटे भाई की भूमिका निभाने के बावजूद, कांग्रेस अपने खुद के घोषणापत्र के साथ आ रही है। अगले पांच वर्षों के लिए अपनी सरकार की प्राथमिकताओं और उद्देश्यों को रेखांकित करने के लिए, इसमें से कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) में शामिल किया जाएगा। यदि महागठबंधन सत्ता में आती है तो गठबंधन सरकार को सुचारू ढंग से चलाने के लिए एक समन्वय समिति भी होगी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीएम, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनस्टीन) या सीपीआई (एमएल) भी महागठबंधन में शामिल हैं।
माधव ने कहा कि बिहार में नौकरियों की कमी के कारण प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में अपने काम के स्थानों पर वापस जाने के लिए अपना सामान और गहने बेच रहे थे। उन्होंने कहा, “बिहार में बहुत बड़ा श्रमिक संकट है और वर्तमान सरकार इस मुद्दे को हल करने में विफल रही है।”
केंद्र ने पिछले महीने संसद को बताया कि 1.06 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिक इस साल मार्च से जून तक लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्यों में लौट आए। प्रवासी संकट कांग्रेस और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना गया है।
अपने घोषणापत्र के लिए, कांग्रेस को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, ई-मेल, एक टोल-फ्री नंबर के माध्यम से लोगों से सुझाव मिले। इसके लिए “बिहार की बात” (बिहार पर संवाद) नामक एक समर्पित वेबसाइट भी बनाई गई थी जिसके जरिए लोगों ने अपने सुझाव भेजे।
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