बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने पर खेल जगत से राजनीति का रुख करने वाली शूटर श्रेयसी सिंह का निशाना सही लगा या गलत आज ये पता चल जाएगा। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से जारी जमुई विधानसभा सीट पर मतगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार वह करीब 25 हजार वोटों से आगे चल रही हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी बिहार के लोगों का आजीविका के लिए पलायन रोकने और उनका प्रदेश में भरोसा बहाल करने का लक्ष्य लेकर राजनीति में आईं। विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता भी ली और फिर चुनाव मैदान में उतरीं। श्रेयसी ने भाजपा नेता भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद भाजपा ने एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता श्रेयसी सिंह को जमुई विधानसभा से टिकट दिया।
बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर की रहने वाली श्रेयसी के बारे में काफी दिनों से चर्चा थी कि वह अब खेल से इतर राजनीति के मैदान में भी निशाना साधने उतरेंगी। भाजपा में शामिल होने से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वह राजद में शामिल हो सकती हैं। परंतु सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए श्रेयसी सिंह ने भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और बिहार चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत आजमाई।
भाजपा में शामिल होने के बाद श्रेयसी ने कहा था, ‘मैं निशानेबाजी जारी रखूंगी। यही वजह है कि मैंने लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। विधानसभा क्षेत्र लोकसभा की तुलना में छोटा होता है। खेल और संस्कृति मेरी प्राथमिकता रहेगी। प्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है और मेरा काम उन्हें मंच प्रदान करना होगा।’ उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से काफी प्रभावित हैं।
ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल 2014 में रजत पदक जीतने वाली इस 29 वर्षीय निशानेबाज ने कहा था कि उनका हमेशा से राजनीति के प्रति झुकाव रहा है। मैं 2009 से अपने पिता के लिए चुनाव प्रचार करती आई हूं। फिर 2010, 2014 और 2019 में अपनी मां के लिए चुनाव प्रचार किया। वहीं, उन्होंने बिहार और बिहारी को लेकर कहा था कि बिहारी, बिहार छोड़कर क्यों जाए और दूसरी जगह दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह क्यों रहे। यह सही नहीं है।
श्रेयसी ने अपने एक बयान में कहा था कि जब आप राजनीति की बात करते हैं तो विकास की बात होनी चाहिए। सिर्फ मूलभूत ढांचा ही नहीं, बल्कि बहुआयामी विकास। हम बिहार में नौकरी के मौके क्यों नहीं पैदा करते, ताकि हमारे लोग अपने परिवार के साथ यहीं गरिमामय जीवन जी सकें।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बांका सीट जदयू के खाते में चले जाने के कारण भाजपा से नाराज होकर उनकी मां पुतुल सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। जिस पर पार्टी ने पुतुल सिंह को निष्कासित कर दिया था। श्रेयसी राजनीतिक परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी हैं। मगर खेल में उन्होंने अपने नाम काफी कुछ हासिल किया है। श्रेयसी नेशनल शूटर हैं। 2018 के राष्ट्र मंडल खेलों में वह स्वर्ण पदक जीती थीं। इससे पहले ग्लासगो में हुए 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी की डबल ट्रैप स्पर्धा में रजत पदक जीता था। वह अर्जुन पुरस्कार विजेता भी हैं। साल 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा था।