बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के 2 दिन पहले 26 अक्टूबर को मुंगेर में विजयदशमी के जुलूस पर फायरिंग हुई। इसके बाद पहले चरण के मतदान के अगले दिन यानी 29 अक्टूबर को आगजनी की घटना अंजाम दी गई। ये दोनों घटनाएं उस वक्त हुई हैं, जब बिहार में दो चरण के मतदान होने बाकी हैं। क्या इन घटनाओं का असर चुनाव नतीजों पर पड़ेगा? क्या मुंगेर कांड से भाजपा और जदयू की दिक्कतें बढ़ेंगी?
जानकारों की मानें तो मुंगेर कांड ने भारतीय जनता पार्टी को धर्मसंकट में डाल दिया है। दरअसल, यह घटना ऐसे समय हुई, जब दो चरणों के चुनाव अभी होने हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नवंबर और तीन नवंबर को बिहार में रैली करने वाले हैं। मुंगेर कांड में चुनाव आयोग ने एसपी लिपि सिंह को हटा दिया, जिसने जदयू नेताओं के माथे की शिकन बढ़ा दी। दरअसल, मुंगेर की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद आरसीपी सिंह की बेटी हैं। अहम बात यह है कि आरसीपी सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है।
गौरतलब है कि सीएम नीतीश ने इस मामले पर अब तक चुप्पी साध रखी है, जिससे उन पर सवाल उठने लगे हैं। इसके अलावा एसपी और डीएम को हटाने के बाद भी विपक्ष संतुष्ट नहीं है। मुंगेर कांड ने विपक्ष को आक्रामक होने का मौका दे दिया है। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि अगर यह घटना महाराष्ट्र में होती तो यही लोग राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग करते।
मुंगेर कांड को लेकर लोजपा नेता चिराग पासवान भी नीतीश सरकार पर हमलावर हो गए। उन्होंने घटना का जिक्र करते हुए राज्य सरकार को महिषासुर की उपाधि दे डाली। वहीं, कांग्रेस ने नीतीश सरकार की बर्खास्तगी की मांग की और राज्यपाल को संज्ञान सौंपा तो और राजद ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए एसपी लिपि सिंह को जनरल डायर कह दिया।
जानकारों का कहना है कि मुंगेर गोलीकांड के बाद भाजपा बैकफुट पर है। हालांकि, भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। वहीं, गिरिराज सिंह ने मामले की जांच की मांग की। आपको बता दें कि गोलीकांड और आगजनी के बाद जिला प्रशासन ने अब तक छह मामले दर्ज किए हैं। इनमें 68 नामजद और एक हजार अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। पुलिस के एडीजी स्तर तक के अधिकारी मुंगेर जाकर हालात का जायजा ले चुके हैं। साथ ही, इस मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय में पीआईएल भी दाखिल की जा चुकी है। इसके अलावा राज्य मानवाधिकार आयोग में भी आवेदन किया गया है।
इस मामले में लगातार केस दर्ज होने और जांच के बावजूद विपक्षी नेता सत्तापक्ष को घेरने से नहीं चूक रहे। राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी का मानना है कि इस घटना का असर बाकी दो चरणों के चुनाव पर जरूर पड़ेगा। हालांकि, यह कितना ज्यादा होगा, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इस घटना ने पुलिस की उद्दंडता को दर्शाया है। मुख्यमंत्री ने इस घटना को लेकर कोई टीका-टिप्पणी नहीं की। इससे जाहिर है कि वह संशय की स्थिति में हैं।
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक हरखू झा का कहना है कि नीतीश कुमार के 15 साल के शासन में भ्रष्टाचार और विधि- व्यवस्था में काफी गिरावट आई है। इसी का परिणाम मुंगेर की घटना है। हम विकास और रोजगार के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस घटना की हम निंदा करते हैं। वहीं, लोजपा के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल का कहना है कि वर्तमान सरकार में प्रशासन बर्बरता पर उतर आया है। मुंगेर की घटना के बाद लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है। इसका असर आगामी दो चरणों के मतदान में जरूर दिखेगा।