सामाजिक पहल की कमी और अधिकारियों की उपेक्षा की बानगी है उर्दू प्राथमिक विद्यालय फैजाबाद। यह विद्यालय 20 गुणा 15 के एक ही कमरे में संचालित है। विद्यालय के एक कमरे में तीन कक्षाओं का संचालन होता है। तीन ब्लैक बोर्ड पर एक साथ बच्चों को शिक्षक पढ़ाते हैं। कमरे के अगले हिस्से के बरामदे पर कक्षा एक से लेकर दो तक के बच्चों को दो शिक्षक पढ़ाते हैं। उर्दू प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक से लेकर पांच तक की पढ़ाई होती है। कक्षा तीन से लेकर कक्षा पांच तक के बच्चों को एक ही हालनुमा कमरे में बैठाया जाता है। एक साथ ब्लैक बोर्ड पर शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं और किसी तरह बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं।
इसी वर्ग में है स्टोर रूम, बच्चे यहीं खाते हैं मध्याह्न भोजन
मध्याह्न भोजन का गोदाम भी इसी कमरे में है। जलावन, चूल्हा, बर्तन, सभी इसी कक्षा में रखा हुआ है। खेल सामग्री से लेकर कार्यालय की सामग्री इसी कमरे में रखी हुई है। इस स्कूल में आफिस के लिए भी कोई अलग से कमरा नहीं है। एक ही कमरे के अगले हिस्से में कक्षा एक से लेकर दो तक के बच्चे को शिक्षक पढ़ाते हैं, जबकि छत पर जाने के लिए बने सीढ़ी के छोटे से निचले हिस्से में मध्याह्न भोजन किसी तरह बनाने का काम रसोइया के द्वारा किया जाता है।
कक्षा पांचवीं की छात्रा जोया परवीन का कहना है कि एक साथ तीन कक्षाओं की पढ़ाई होने पर काफी शोरगुल होता है। सर के द्वारा जो पढ़ाया जाता है वह ठीक से समझ में नहीं आता है। कई बार पूछने पर सर उसको कापी पर समझाते हैं तब जाकर बात समझ में आती है। वहीं राकेश कुमार ने बताया कि एक ही कमरे में पढ़ाई होने से परेशानी है। मध्याह्न भोजन खाने के लिए भी कहीं अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। इसी कमरे में मध्याह्न भोजन खाने की मजबूरी होती है।
प्रधानाध्यापिका निखत परवीन ने बताया कि 14 साल से इस विद्यालय में शिक्षक सह प्रधानाध्यापिका के रूप में काम कर रही हूं। कई बार लिखित रूप से भवन की समस्या को लेकर विभाग को अवगत कराया गया है, परंतु कोई पहल नहीं हुई है। स्कूल के ऊपरी हिस्से में दो कमरे बना दिए जाएं तो बच्चों को पढऩे में बहुत राहत हो जाएगा। इस विद्यालय में 6 शिक्षक और 219 बच्चे हैं। वहीं सहायक शिक्षक मुजाहिद इस्लाम का कहना है कि एक ही कमरा होने की वजह से हम लोगों की मजबूरी है। किसी तरह से मैनेज कर बच्चों को पढ़ाई लिखाई कराई जाती है। बच्चों को पढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं होती है और व्यक्तिगत तौर पर ही बच्चों को समझा कर उसे पढ़ाया जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी रंजीत पासवान ने बताया कि जिस विद्यालय में जगह का आभाव है उसे दूसरे विद्यालय के साथ मर्ज कर दिया जाएगा। एक रिपोर्ट बनाकर बिहार सरकार को भेजा जाएगा। इसके लिए पहले जांच भी कराई जाएगी। ताकि बच्चों को शिक्षा देने में राहत मिल सके।