हाउसिंग प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान बिल्डर मनमानी करते हुए नक्शे में बदलाव कर रहे हैं। इस संबंध में शासन ने प्राधिकरणों को चेताया कि बिना सहमति संशोधन की अनुमति न दी जाए।
अब बिल्डर किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट का नक्शा दो तिहाई मालिकों (आवंटियों) की मर्जी के बिना नहीं बदल सकेगा। शासन ने सभी विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में पत्र भेजकर चेताया है। साथ ही ये भी स्पष्ट कर दिया कि पांच वर्ष पूरे होने के बाद नक्शे की अवधि को एक-एक साल के लिए अधिकतम तीन बार ही बढ़ाया जा सकेगा।
दरअसल, प्रदेशभर से शासन को ये शिकायत मिल रही कि हाउसिंग प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान बिल्डर मनमानी करते हुए नक्शे में बदलाव कर रहे हैं। इस स्थिति में परियोजना के मूल स्वीकृत नक्शे की वैधता तिथि एवं अवधि विस्तारित मानचित्र की स्वीकृत तिथि के बीच अंतर आ रहा है।
जिस कारण उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण में पंजीकृत रियल इस्टेट परियोजनाओं को अवधि विस्तार देते समय परेशानी आ रही है। आवास विभाग ने सभी जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण, एमडीडीए, एचआरडीए, उडा, सीडा, उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद, टाउन प्लानिंग विभाग को एक निर्देश जारी किए हैं।
नक्शा पास होने के बाद भवन निर्माण के लिए पांच साल का समय होता तय
इसमें स्पष्ट कर दिया गया कि उत्तराखंड भू-संपदा विनियम एवं विकास एक्ट 2016 और उत्तराखंड भू-संपदा विनियम एवं विकास सामान्य नियमावली 2017 के प्रावधानों के तहत बिल्डिंग के नक्शे में परिवर्तन के लिए दो तिहाई आवंटियों की सहमति सुनिश्चित की जाए। इसके बाद ही संशोधन की अनुमति दी जाए।
शासन ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि नक्शा पास होने के बाद भवन निर्माण के लिए पांच साल का समय तय होता है। इसके बाद आवेदक के अनुरोध पर एक-एक साल के लिए इसे तीन बार तक बढ़ाया जा सकता है। शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि आवेदक अवधि विस्तार के लिए आवेदन करता है तो लेआउट की अवधि खत्म होने से पहले ही विस्तार देना भी जरूरी होगा।