विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में सरकार बनने के बाद पहली बार प्रदेश सहप्रभारी संजय कपूर मंगलवार को इंदौर के कांग्रेस कार्यालय पहुंचे। जिला-शहर कांग्रेस के तमाम पदाधिकारियों के साथ तमाम वरिष्ठ नेताओं से कपूर ने बात की। लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारों के नाम पूछे। इसी दौरान पदाधिकारियों ने अपने अध्यक्षों के नाम भी आगे बढ़ा दिए। फौरी तौर पर अपनी ओर से कोई भी नेता लोकसभा के लिए राजी नहीं दिखा। कई ने सवाल खड़े कर दिए कि बिना पैसे आखिर चुनाव कैसे लड़ें।
गांधी भवन में बैठक लेने पहुंचे कपूर ने बैठक में कहा कि देश बदलाव चाहता है। तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव इसका उदाहरण हैं। सेमीफाइनल तो हमने जीत लिया, अब फाइनल की बारी है। कार्यकर्ता घर न बैठें, मैदान में उतर जाएं। शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल और जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव ने भी पदाधिकारियों को संबोधित किया। विधानसभावार लोकसभा से पहले हर बूथ की समीक्षा कर कमियां संगठन के सामने रखी जाएं। जो कमियां विधानसभा में रही थीं, लोकसभा से पहले उन्हें दूर करना है।
प्रदेश सहप्रभारी ने बैठक के बाद विधानसभा के उम्मीदवारों के साथ ही जिला, शहर अध्यक्ष, मोर्चा पदाधिकारियों के अलावा पार्षदों, वरिष्ठ नेताओं रामेश्वर पटेल, सुरेश मिंडा, मोहन सेंगर, भंवर पटेल, अर्चना जायसवाल, प्रदेश संगठन के पदाधिकारी राजेश चौकसे, गिरधर नागर आदि से एक-एक कर बात की। सभी से लोकसभा के संभावित उम्मीदवारों के तीन-तीन नाम मांगे। इस बीच पदाधिकारियों ने शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल से लेकर सदाशिव यादव, जीतू पटवारी, पंकज संघवी से लेकर विधायक संजय शुक्ला, सत्यनारायण पटेल और मोहन सेंगर, गोलू अग्निहोत्री, मोतसिंह पटेल तक के नाम आगे बढ़ा दिए।
इस बीच कुछ पदाधिकारियों ने प्रभारी से दो-टूक कहा कि बिना पैसे के चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। भाजपा से मुकाबले के लिए अच्छा उम्मीदवार मैदान में उतारना होगा। ऐसा कोई भी व्यक्ति चुनाव तब लड़ेगा, जब पार्टी उसे चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक मदद भी दे। नहीं तो सिर्फ पैसे के आधार पर ही टिकट बांटना पड़ेगा।
शहर की बैठक के दौरान विधानसभा चुनाव में चार नंबर से उम्मीदवार रहे सुरजीत चड्ढा और कांग्रेस सेवादल जिला अध्यक्ष मुकेश ठाकुर भिड़ लिए। चड्ढा ने ठाकुर की कार्यप्रणाली पर आपत्ति लेते हुए सार्वजनिक रूप से टोंका कि वे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जिले के बजाय शहर में पदाधिकारियों की नियुक्ति क्यों कर रहे हैं। इस पर ठाकुर ने कहा कि शहर अध्यक्ष सच सलूजा सोए हुए हैं तो क्या मैं भी सोता रहूं। संगठन से लोगों को जोड़ने में आखिर गलत क्या है। ठाकुर के जवाब से दोनों में गरमागरम बहस शुरू हो गई। हंगामे को वरिष्ठ नेताओं ने मध्यस्थता कर शांत करवाया।