लखनऊ. किसानों की कर्जमाफी से जुड़ी बड़ी खबर। कर्जमाफी की आस लगाये किसानों को राहत के लिए लंबा इंतजार करना होगा। केंद्र सरकार ने प्रदेश के किसानों की कर्जमाफी के लिए योगी सरकार को वित्तीय सहयोग देने से इंकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने योगी आदित्यनाथ के प्रस्ताव को खारिज करते हुए खुद संसाधन जुटाने के लिए कहा है। इस झटके के बाद योगी सरकार ने प्रदेश के किसानों का 36 हजार करोड़ का कर्ज माफ करने के लिए किसी भी किस्म का किसान राहत बांड की योजना को छोड़ दिया है।
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साथ ही प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह किसानों की कर्जमाफी के लिए किसी वित्तीय संस्थान के सामने हाथ भी नहीं फैलाएगी। सरकार ने तय किया है कि वह किसानों को अपने बूते राहत मुहैया कराएगी। …लेकिन रकम का इंतजाम कैसे होगा?, इस सवाल का स्पष्ट जवाब सरकार ने नहीं दिया है। योगी सरकार ने केंद्र को किसानों की कर्जमाफी के लिए रकम जुटाने के तीन सुझाव भेजे थे, जिसे केंद्र ने खारिज करते हुए हस्तक्षेप करने अथवा गारंटी लेने से मना कर दिया।
योगी आदित्यनाथ के तीनों प्रस्ताव को मोदी सरकार ने किया खारिज
प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों का एक लाख रुपए तक का कृषि कर्ज माफ करने के ऐलान के बाद योगी आदित्यनाथ ने 36 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम करने के लिए केंद्र सरकार के पास एक मसौदा भेजा था। योगी के प्रस्ताव में तीन बिंदु शामिल थे, जिसके मुताबिक प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-2018 की केंद्रीय वित्तीय मदद में 36,529 करोड़ रुपए बतौर एडवांस देने का आग्रह किया था। दूसरे सुझाव में योगी आदित्यनाथ ने लिखा था कि ऐसा मुमकिन नहीं होने की स्थिति में यथासंभव एडवांस केंद्रीय ग्रांड मुहैया कराई जाए, शेष धन का इंतजाम बांड जारी करके किया जाना संभव है।
तीसरे और अंतिम सुझाव के तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा था कि वित्तीय प्रावधानों के तहत अग्रिम वित्तीय वर्ष की केंद्रीय ग्रांड से एडवांस मिलना संभव नहीं है तो किसान राहत बांड के जरिए धन की व्यवस्था संभव है। तीसरे सुझाव के साथ योगी आदित्यनाथ ने आग्रह किया था कि किसान राहत बांड जारी करने की स्थिति में वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए सालाना कर्ज लेने की सीमा में किसान राहत बांड से जुटाई गई राशि को शामिल नहीं किया जाए।
केंद्र ने नहीं मांगा था प्रस्ताव, स्वविवेक से भेजा गया मसौदा
योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल माह में यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को अपने स्तर पर भेजा था। किसानों की कर्जमाफी के लिए धन के इंतजाम के विषय में केंद्र सरकार ने यूपी सरकार से कोई सवाल-जवाब नहीं किया था। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ के प्रस्ताव का खुलासा करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों को स्पष्ट बता दिया है कि किसान कर्जमाफी अथवा किसी अन्य किस्म की कर्जमाफी के लिए राज्य को संसाधन अपने बूते ही जुटाने होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए उत्तर प्रदेश से नहीं कहा था, संभवत: योगी आदित्यनाथ ने अपने विवेक से यह प्रस्ताव भेजा है। रुपाला ने कहाकि केंद्र अपने रुख पर अडिग है और कर्जमाफी के लिए रकम का इंतजाम खुद करने के लिए उत्तर प्रदेश से कहा गया है।
अब अपने बूते कर्जमाफी की बात, लेकिन खजाना खाली
केंद्र के इंकार के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने संसाधन से किसानों की कर्जमाफी का दावा किया है। प्रदेश के वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने कहाकि यह सच है कि अब प्रदेश सरकार किसान राहत बांड नहीं लाएगी। सरकार ने किसी वित्तीय संस्थान के सामने हाथ नहीं फैलाने का फैसला भी किया है। वित्तमंत्री ने कहाकि सरकार अब अपने बूते ही बजट के अनुसार पहल चरण में प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों को कर्जमाफी देगी। उन्होंने प्रदेश की डांवाडोल आर्थिक स्थिति के मद्देनजर यह स्पष्ट नहीं किया कि केंद्र से मनाही के बाद प्रदेश सरकार रकम का इंतजाम कैसी करेगी। उन्होंने कहाकि खर्च घटाकर और आय के अन्य तरीकों को देखने के बाद कुछ कहना संभव होगा।
यूपी को मॉडल बनाना चाहते हैं केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली
दरअसल, केंद्र सरकार को उम्मीद है कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश में आय के अन्य संसाधन खोजकर उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की कर्जमाफी के लिए अपने बूते रकम का इंतजाम कर लेगी। इसके बाद किसानों की कर्जमाफी के लिए केंद्र की मदद की बांट जोह रहे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब को उत्तर प्रदेश से सीख लेने की नसीहत देते हुए यूपी को बतौर मॉडल प्रस्तुत करना चाहती है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पूर्व में ऐलान कर चुके हैं कि किसानों की कर्जमाफी का ऐलान करने वाले राज्यों को रकम का इंतजाम अपनी जेब से करना होगा, केंद्र किसी किस्म की मदद नहीं करेगा।