उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में बिटिया के गांव जाने वाले सभी रास्तों पर पहले दिनों की अपेक्षा और ज्यादा कड़ा पहरा रहा। बिटिया का परिवार जहां पूरे दिन पुलिस फोर्स की निगरानी में नजरबंद रहा तो गांव के लोग भी बमुश्किल गांव से बाहर जा सके। यहां तक कि मीडिया को भी गांव में अंदर नहीं घुसने दिया गया।
चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात रही। गांव जाने वाले रास्ते पर मौजूद लोगों को पुलिस ने कई बार खदेड़ा। निषेधाज्ञा का हवाला देकर भीड़ को भी एकत्रित नहीं होने दिया गया। शासन के आदेश पर बिटिया की मौत के प्रकरण में एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है। एसआईटी ने बिटिया के गांव के कई चक्कर लगाए। पुलिस-प्रशासन ने वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
गांव से पहले ही काफी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। आने वाले दिनों के मुकाबले सुरक्षा और ज्यादा सख्त रही। बिटिया के परिजन एक तरह से घर में नजरबंद रहे और सुरक्षा कर्मियों के साये में रहे। एसआईटी ने इनसे कई घंटे पूछताछ की।
पूरे गांव में भी चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात रही। यही स्थिति गांव में जाने वाले सभी रास्तों पर रही। मीडिया को भी पुलिस ने गांव में घुसने नहीं दिया। मीडियाकर्मियों से तीखी नोकझोंक भी हुई। जब-जब भीड़ एकत्रित हुई तो पुलिस ने उसे लठियाकर खदेड़ दिया।
दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा भी बृहस्पतिवार को चंदपा आईं। वह भी बिटिया के गांव जाना चाहती थीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी नहीं जाने दिया और एसआईटी जांच का हवाला दिया।
वह लौटकर थाने आ गईं। उनकी डीएम, एसपी से काफी देर तक बातचीत हुई। उन्होंने यह भी कहा कि वह पीड़ित परिवार से मिलना चाहती हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने उन्हें गांव नहीं जाने दिया।