पंजाब में अत्यधिक भारी बारिश और बाढ़ के कारण बासमती और धान की फसल को जबरदस्त नुकसान हुआ है। जिससे उत्पादन में 20-25 फीसदी की गिरावट का अंदेशा है। हजारों एकड़ खेतों में पानी भरने की वजह से धान की फसल बर्बाद हो गई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक पानी में डूबे रहने से फसल ऑक्सीजन की कमी की वजह से खराब हो चुकी हैं। इस नुकसान का सीधा असर भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर पड़ेगा। यही नहीं, कीमतों में बढ़ोतरी भी हो सकती। इतना ही नहीं प्रति एकड़ धान की पैदावार भी कम हो गयी है। बताया जाता है कि करीब सात लाख हेक्टेयर तक पानी फैला। जिससे 202094.701 हेक्टेयर खेती योग्य जमीनों पर करीब तैयार फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
30.94 लाख हेक्टेयर में हुई थी धान की बुआई
इस साल पंजाब में 30.94 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई थी। किसानों में बंपर फसल की उम्मीद से खुशी से नाच रहे थे लेकिन बेमौसम बरसात ने पानी फेर दिया है। पंजाब में 185 लाख टन धान उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले साल के 182 लाख टन से थोड़ा अधिक है लेकिन जिस ढंग से प्रति एकड़ धान की फसल निकल रही है वह चिंताजनक है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 25.19 लाख हेक्टेयर में एमएसपी वाली मोटे धान की किस्म और 5.75 लाख हेक्टेयर में बासमती की बुआई हुई थी। किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि इस साल बारिश के कारण फसल काफी कम हो रही है। औसतन 20 फीसदी पैदावार कम आ रही है। यह कम फसल उन इलाकों से है जहां अत्यधिक बारिश हुई है।
कृषि विशेषज्ञ हरि सिंह का कहना है कि पंजाब में कई स्थानों पर लगातार बारिश से खरीफ फसलों, विशेषकर धान और कपास को नुकसान हो गया है। धान की पैदावार प्रति एकड़ 20 फीसदी गिर गयी है। पानी के कारण आक्सीजन की कमी हो गयी जिससे पैदावार पर असर हुआ है। उन्होंने कहा कि फसलों की कटाई में देरी के अलावा, असमय बारिश से न केवल उपज बल्कि फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।