राजेश उर्फ सोनिया पांडेय की कहानी बड़ी दिलचस्प है। पिता रेलकर्मी थे, उनकी मृत्यु के बाद 2013 में मृतक आश्रित कोटे पर राजेश की नौकरी लग गई। इज्जतनगर के मुख्य कारखाना प्रबंधक कार्यालय में कार्यरत तकनीकी ग्रेड-एक के पद पर तैनाती मिली। बकौल सोनिया, मुझसे बड़ी चार बहने हैं। मेरी मर्जी के खिलाफ 2012 में शादी हुई।
मेरे अंदर महिलाओं जैसे व्यवहार आने लगे। पहले तो बहुत परेशान हुई लेकिन निर्णय लिया कि लिंग परिवर्तन कराऊंगी। मैंने पत्नी को समझाया और हम मर्जी से अलग हो गए।
सोनिया के मुताबिक पत्नी से तलाक लेने के बाद दिल्ली में सेक्सोलॉजिस्ट से मिली तो उन्होंने सर्जरी करवाकर लिंग परिवर्तन की सलाह दी। पहले तो घरवाले तैयार नहीं थे। उन्हें बहुत समझाना पड़ा। फिर समाज का ताना अलग से। लेकिन मैं टूटी नहीं। मानसिक रूप से खुद को मजबूत किया। इसमें दोस्तों ने मदद की। 10 दिसंबर 2017 में सर्जरी करवाकर वापस बरेली आ गईं। फरवरी के पहले सप्ताह में रेलवे ने राजेश के पास और मेडिकल कार्ड पर लिंग महिला दर्ज कर दिया।
सोनिया के मुताबिक मेडिकल बोर्ड की जांच से उनकी राह आसान हुई। पहले तो अधिकारियों ने मना कर दिया था। मेडिकल रिपोर्ट में पाया गया कि उनमें भौतिक रूप से जेंडर डिस्फोरिया (एक लिंग से दूसरे लिंग की चाह) है। ऐसा हार्मोन के बदलाव से होता है।
लिंग परिवर्तन के बाद सोनिया के सामने कई संकट खड़ा हो गया। उनका बैंक अकाउंट, आधार कार्ड में राजेश पांडेय नाम था। वे बताती हैं, मैं अपना पर्सनल बैंक अकाउंट खोलना चाहती थी। काफी कोशिश के बाद आधार कार्ड में नाम बदल गया है लेकिन मेरे एकाउंट वाले खाते में राजेश पांडेय वाला आधार लिंक है। बैंक में जब आवेदन किया तो कैंसल कर दिया गया। बताया गया कि एक ही फिंगर प्रिंट से दो नाम शो कर रहा है।
अब सोनिया पांडे शादी करना चाहती हैं। उनकी मुश्किल यह है कि कोर्ट मैरिज के लिए उनके पास मुकम्मल कागजात नहीं है। सोनिया कहती हैं, शादी की योजना है लेकिन पहले रेलवे के कागजात में मेरा नाम सही होने का इंतजार था। अब वह दिन आ गया है।