चंडीगढ़। बहिकलां बेअदबी के बाद प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग से हुई दो मौतों की जांच में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी पर सीधी उंगली उठी है। पुलिस फायरिंग व प्रदर्शनकारियों को समझा पाने में नाकाम रहने तथा हालातों पर काबू पाने में विफल रहने के मामले में बादल के प्रमुख सचिव रहे गगनदीप सिंह बराड़, एडीजीपी रोहित चौधरी तथा आईजी परमराज सिंह उमरानंगल की लापरवाही भी सामने आई है।
जस्टिस रंजीत सिंह की बेहद गुप्त रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखने से पहले ही लीक
बहिबल कलां में पुलिस फायरिंग में दो युवाओं की मौत के बाद पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की हुई बेअदबी व खराब हुए माहौल की जांच को लेकर कांग्रेस सरकार द्वारा गठित जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की पहली रिपोर्ट में बहिबलकलां व बरगाड़ी कांड की रिपोर्ट आयोग ने बीते दिनों सरकार को सौंपी है। सरकार ने इस रिपोर्ट की 21 कॉपियां ही तैयार करवाई थीं, जिससे इसे लीक होने से रोका जा सके, लेकिन फिर भी मंगलवार को रिपोर्ट लीक हो गई। इससे पहले सरकार ने मोगा के तत्कालीन एसएसपी चरणजीत शर्मा व एसपी सहित चार पुलिस मुलाजिमों के नाम भी एफआइआर में दर्ज करवा कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की थी।
कौशल, रोहित चौधरी, उमरानंगल पर भी उठी उंगली, -डीसी, चार एसएसपी, 2 आइजी, डीआइजी भी कटघरे में
मंगलवार को लीक रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि पुलिस पूरे मामले की गंभीरता को समझ पाने में फेल रही है। पुलिस ने धक्केशाही से धरना खत्म करवाने की कोशिश की। धरने पर बैठे सिख प्रचारक भाई पंथ प्रीत सिंह को एसएसपी चरणजीत डीआईजी अमर सिंह चाहल की मौजूदगी में बलपूर्वक उठाने की कोशिश की थी। इसके बाद हालात खराब हुए और पथराव के बाद अचानक से फायरिंग की गई। आयोग ने जांच में पुलिस वालों की एसएलआर में 12 गोलियां भी कम पाई थीं।
तत्तकालीन मुख्यमंत्री की भूमिका पर सवाल
आयोग ने कहा है कि घटना वाले दिन जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित पुलिस कारवाई को लेकर तत्तकालीन मुख्यमंत्री का रोल स्पष्ट नहीं था। उनके स्तर से अधिकारिक तौर पर देर रात तीन बजे पुलिस कारवाई के लिए मना किया गया था। इसके बाद डीजीपी के आइजी उमरानंगल को किए गए तीन फोन काल्स के बाद पुलिस ने कारवाई को अंजाम दे दिया। आयोग को इस बारे में मुख्यमंत्री ने कोई जवाब देने के इनकार किया था।
नियोजित तरीके से हुई थी बेअदबी की घटनाएं
आयोग ने रिपोर्ट में लिखा है कि बेअदबी की घटनाओं को आर्गेनाइज्ड तरीके से अंजाम दिया गया था। इसके तार एक दूसरे से जुड़ते हैं। बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव से बीड़ उठाकर ले जाने के बाद उसके अंगों को सार्वजनिक स्थलों पर फेंककर भावनाएं भड़काने का काम किया गया। इस काम में को आधा दर्जन लोगों ने मिलकर अंजाम दिया था। इसके तार डेरा सच्चा सौदा से भी जुड़ते हैं। डेरा प्रमुख की फिल्म एमएसजी-2 की रिलीज पर रोक के बाद पंजाब के माहौल को खराब करने के लिए डेरा समर्थकों ने भूमिका निभाई है।
बेअदबी की 122 नहीं 157 घटनाएं हुई, ट्रेस सिर्फ 60 हुई थीं
आयोग ने अपनी पड़ताल के बाद रिपोर्ट में कहा है कि पंजाब में बेअदबी की 122 घटनाएं नहीं बल्कि 157 घटनाएं हुई थीं। मामले केवल 122 के दर्ज किए गए थे। इनमें से भी सिर्फ 60 मामले ही ट्रेस हो पाए थे। श्रीगुरुग्रंथ साहिब के साथ छेड़छाड़ की 30, गुरुद्वारा साहिब से छेड़छाड़ की 8, श्रीगुटका साहिब की 56, हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों की 22, मुस्लिम समाज के धार्मिक ग्रंथों की 5 व ईसाई समाज के धार्मिक ग्रंथों की एक घटना हुई थी।
गुप्त रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने से पहले ही लीक
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और बहिबल कलां गोली कांड की जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की बेहद गोपनीय रिपोर्ट विधानसभा पटल पर पहुंचने से पहले ही लीक हो गई। यह रिपोर्ट कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंपी गई थी। हालांकि सीएम यह दावा कर रहे थे कि रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखे बिना किसी को नहीं दिया जाएगा। बेशक रिपोर्ट के कुछ अंश पहले भी मीडिया में आते रहे लेकिन किसी ने यह दावा नहीं किया कि पूरी रिपोर्ट उनके पास है। आयोग ने इस रिपोर्ट को किसी भी स्तर पर लीक होने से बचाने के लिए इसे टाइप करने वाले टाइपिस्ट भी सरकारी नहीं लिए थे बल्कि निजी टाइपिस्टों से इस टाइप करवाया गया था।