बड़े भाई तेज प्रताप यादव की ओर से ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ बनाए जाने से उपजे हालात पर नेता तेजस्वी प्रसाद यादव खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। वहीं तेजस्वी ने बुधवार को तेजप्रताप को जान से मारने की धमकी वाले मामले में भी कुछ नहीं कहा। तेजस्वी ने इस मामले पर पूछे जाने पर चुप्पी साध ली। वहीं इस मामले में भाजपा नेता सह बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने तेजप्रताप का साथ दिया है।
सुशील मोदी ने कसा तंज-तेजप्रताप को दरकिनार करने की कोशिश
इस मुद्दे पर सुशील मोदी ने राजद पर निशाना साधते हुए तंज कसा और कहा कि परिवार में तेजप्रताप को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। उन्हें नीचा दिखाने के लिए ही उनके ससुर चंद्रिका राय को टिकट दिया गया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि लालू परिवार में सत्ता का वारिस बनने के लिए लड़ाई चल रही है। तेजप्रताप में लालू की छवि है, लोग उसको पसंद करते हैं। मीसा भारती को भी स्टार प्रचारक नहीं बनाया गया है और एेसे में बड़े नेताओं की चुप्पी कुछ और इशारा कर रही है। शिवानंद तिवारी को इस पर बोलना चाहिए।
तेजस्वी ने साध ली है चुप्पी
तेजस्वी ने बड़े भाई के मामले पर कुछ नहीं कहा वहीं कांग्रेस के घोषणापत्र 2019 पर कहा कि इस पर ज्यादा टीका- टिप्पणी करना ठीक नहीं है। हमें देश हित और किसान हित की बात करनी चाहिए।
मंगलवार को भाजपा के दो पूर्व विधायकों को राजद में शामिल कराने के लिए तेजस्वी खुद आने वाले थे पर अंतिम समय में नहीं आने की सूचना देकर चुनाव प्रचार में चले गए। देर रात एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी ने सिर्फ इतना कहा कि यह पारिवारिक मामला है और हम मिल-बैठकर सुलझा लेंगे।
बता दें कि इससे पहले भी तेज प्रताप यादव कई बार अपनी गतिविधियों से पार्टी के साथ ही तेजस्वी के लिए परेशान कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव के समय तेज ने अलग मोर्चा बनाकर तेजस्वी के साथ ही राजद और महागठबंधन के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
हालांकि तेज प्रताप के मोर्चे के उम्मीदवार कितना प्रभावी होंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एनडीए नेताओं के लिए अभी राजद और महागठबंधन के खिलाफ बोलने का एक मौका जरूर दे दिया है।
तेजस्वी से पहले प्रदेश राजद अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने भी कहा था कि यह कोई पार्टी में टूट नहीं है। पारिवारिक मामला है। इस मसले पर राबड़ी देवी, तेज प्रताप और तेजस्वी यादव से बातचीत करेंगे। वहीं, लालू प्रसाद के करीबी विधायक भोला यादवऔर पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता भी तेजप्रताप द्वारा मोर्चा बनाने पर कुछ भी बोलने से परहेज करते रहे और इसे पारिवारिक मामला बताया।