पंजाब के व्यापारी एक बड़ी मुसीबत में फंस गए है। दरअसल, किसान आंदोलन के चलते इस बार 50 प्रतिशत से ज्यादा का हौजरी कारोबार ठप्प हो गया है। नकद में माल खरीदने वाले ग्राहक इस बार लुधियाना नहीं पहुंचे। उन्होंने दिल्ली के गांधीनगर और करोल बाग के टैंक रोड से ही माल खरीद कर अपनी दुकानदारी चला। ली है जबकि लुधियाना के होलसेलर ग्राहकों के इंतजार में खाली बैठे हुए हैं।
दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में लुधियाना के होलसेलरों को मैन्युफैक्चरर से दूसरी बार माल बनाने की मांग करनी पड़ती है। इस बार पुराना पड़ा हुआ माल ही डंप होने की कगार पर पहुंच गया है। यह वह ग्राहक है जो हर सप्ताह 2 से 3 लाख रुपए नकद का माल खरीद कर ले जाते हैं। इन लोगों का नवम्बर से लेकर जनवरी तक हर सप्ताह लुधियाना आना-जाना लगा रहता है लेकिन इस साल किसान आंदोलन की वजह से वह लुधियाना नहीं पहुंच पा रहे। इसकी मुख्य वजह यह है कि अगर वह माल ले भी लेते हैं तो दिल्ली तक ले जाने में उन्हें सबसे बड़ी दिक्कत आ रही है।
ट्रांसपोर्ट के जरिए माल 2 से 3 दिन में पहुंच रहा है। वहीं अगर वह ट्रेन के जरिए माल ले जाते हैं तो एक सप्ताह का समय लग रहा है। हौजरी के अलावा अन्य क्षेत्रों के माल भी अब ट्रेन के जरिए ही दिल्ली व अन्य राज्यों में जा रहे हैं। इसकी वजह से गुड्स ट्रेन में जगह नहीं मिल रही। आज माल की बुकिंग करवाते हो तो गुड्स ट्रेन में लोड होकर गंतव्य तक पहुंचने में एक सप्ताह से 10 दिन का समय लगता है इसलिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और उत्तरांचल के ग्राहक पूरी तरह से लुधियाना के बाजार से गायब हो गए हैं।
ट्रक ऑप्रेटरों ने भी किराए में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। जिसकी वजह से माल लेने वाले ग्राहक अगर ट्रांसपोर्ट के जरिए माल लेकर दिल्ली तक जाते हैं तो उनके उत्पाद की कीमत में इजाफा हो जाता है और बाजार में वह महंगे दामों में बिकेगा। जबकि दिल्ली से ही वह उत्पाद खरीद कर बाजार में बेचेंगे तो लुधियाना के मुकाबले वह सस्ता पड़ता है। इसलिए उन्होंने दिल्ली के ही गांधीनगर और टैंक रोड से माल को खरीद कर बेचना शुरू कर दिया है यानी किसान आंदोलन का सही फायदा दिल्ली के बाजारों को मिल गया है।
इस बारे में निटवियर क्लब के चेयरमैन विनोद थापर कहते हैं कि हौजरी इस बार पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। सरकार को चाहिए कि वह किसानों के मसले का हल जल्द से जल्द निकले और किसानों को भी चाहिए कि वह अपना धरना प्रदर्शन करते रहे लेकिन सड़क से हटकर बैठ जाएं, वह उनके खिलाफ नहीं हैं। उनकी वजह से जो कारोबार प्रभावित हो रहा है उससे लाखों लोगों का बेरोजगार होने तय माना जा रहा है।
अन्य राज्यों में पटरिया लगाकर माल बेचने वाले लोग हर सप्ताह लुधियाना से माल लेकर जाते हैं और अगले सप्ताह के लिए माल का आर्डर एडवांस में ही दे जाते हैं। लेकिनइसबार लुधियाना के होलसेलर खाली बैठे हुए हैं। अब लगता है कि अगले 10 दिन में ग्राहक नहीं आए तो माल सेल लगाकर बेचना पड़ेगा। प्रीमियम क्वालिटी का माल बेचने वाले होलेसलरों का भी यही हाल है उन्होंने तो बाजार के हालात को देखते हुए अभी से सेल लगा दी है। कुल मिलाकर किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा नुकसान हौजरी उद्योग को उठाना पड़ रहा है क्योंकि यह सीजनल उद्योग है।