किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए यह राहत भरी खबर है। अब बिहार के तीन बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही मरीज को किडनी देने के लिए उसका रक्त संबंधी होना जरूरी नहीं रहा। मरीज से भावनात्मक रूप से जुड़ा व्यक्ति भी किडनी दान कर सकता है।
किडनी ट्रांसप्लांट ऐसी सर्जरी है, जिसमें क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीज के शरीर में एक स्वस्थ किडनी लगा दी जाती है। इससे मरीज को डायलिसिस कराने की जरूरत नहीं होती है।
तीन अस्पतालों को मिला लाइसेंस-
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विधान परिषद में बताया कि सरकार ने पटना के आइजीआइएमएस (इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान), पारस अस्पताल व रूबन मेमोरियल अस्पताल को किडनी ट्रांसप्लांट का लाइसेंस मंजूर कर लिया है। यह लाइसेंस पांच साल के लिए वैध होगा।
सरकार देगी ट्रांसप्लांट का खर्च-
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि सालाना 2.50 लाख रुपये से कम आय वालों को सरकार किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च देगी। फिलहाल तीन से चार लाख रुपये देने का प्रावधान किया गया है। दवाओं का खर्च भी सरकार वहन करेगी।
दो लाख रुपये में होगा ऑपरेशन-
आइजीआइएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को दो लाख रुपये ही खर्च करने पड़ेंगे। प्रदेश का यह पहला अस्पताल हैं जहां यह सुविधा उपलब्ध है।
कौन कर सकता है किडनी का दान, जानिए-
किसी मरीज को किडनी देने के लिए अब उसका रक्त संबंधी होना जरूरी नहीं है। मरीज से भवनात्मक लगाव रखने वाला व्यक्ति भी किडनी दे सकता है। पश्चिम बंगाल सरकार के इसी प्रावधान के चलते दूसरे राज्य के मरीज वहां किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए जाते हैं। अब बिहार में ही यह सुविधा उपलब्ध हो जाने से राज्य के मरीजों को बड़़ी राहत मिलेगी।