बजट में सरकार ने शुद्ध हवा के संवैधानिक अधिकार पर ध्यान देते हुए पहली बार वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए 2217 करोड़ का प्रावधान किया है। निश्चित रूप से शहरों को बढ़ते वायु प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा।
सरकार द्वारा नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत वर्ष 2024 तक निलंबित कणकीय पदार्थ (पीएम 2.5) यानी ऐसे फुलवा प्रदूषक जो सांस के जरिए फेफड़ों में समाते हैं, में 20 से 30 फीसद तक की कमी लाने का निर्णय लिया है। इसके तहत देश के 122 शहरों में जिसमें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित आगरा,प्रयागराज, बरेली, झांसी, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी शामिल है, वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय किए जाने हैं। शहरों में प्रदूषण की नापजोख करने के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए जाने हैं। राजधानी में वर्तमान में चार स्थलों पर प्रदूषण की ऑनलाइन नापजोख की जा रही है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कई अन्य स्थलों पर भी ऑनलाइन मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। माना जा रहा है कि बजट में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए 2217 करोड़ का प्रावधान ऐसे तमाम कार्यों के लिए मददगार साबित होगा। दरअसल बढ़ता वायु प्रदूषण नागरिकों की सेहत को जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है। लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं।
फेफड़ों के गंभीर रोगों की गिरफ्त में हैं। इसलिए सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पर्यावरणविद पीके श्रीवास्तव कहते हैं कि निश्चित रूप से सरकार ने लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए वायु प्रदूषण नियंत्रण के साथ प्रदूषण नियंत्रण पर भी जोऱ दिया है। आम लोगों की सेहत के लिहाज से यह बेहद तसल्ली वाली बात है कि सरकार प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर ध्यान दे रही है और उसके नियंत्रण के लिए प्रयासरत है।