सरकार ट्यूबरक्लोसिस (TB) से जूझ रहे बच्चों के लिए फ्रूट फ्लेवर्ड टैबलेट्स लाने की तैयारी में है. फ्रूट फ्लेवर्ड दवाई के आने से बच्चों को टीबी की कड़वी और भारी डोज से राहत मिलेगी. ये दवाएं जून से 5 राज्यों में उपलब्ध होंगी. इन टैबलेट्स फ्लेवर स्ट्राबेरी और ऑरेंज होंगा. ये दवाएं बच्चो को ध्यान में रखकर बनाई गई है.
नई दवांए मुंह में रखते ही घुल जाएंगी और बच्चों के लिए इन्हें निगलना भी आसान होगा. अक्सर बच्चे दवाई लेते समय नखरे करते है और अभिभावकों को बच्चे की उम्र के हिसाब से अक्सर गोलियां तोड़कर देनी पड़ती हैं, इससे कई बार बच्चे को सही खुराक नहीं मिल पाती. इसलिए इन दवाईं को फ्रूट फ्लेवर्ड में बनाया गया है. साथ ही बच्चो की जरूरी खुराख के हिसाब से तैयार किया गया है. इन दवाईयो का पूरा डोज लेने से बच्चों की टीबी की बीमारी का पूरा इलाज होगा. ये फ्लेवर्ड टैबलेट्स डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर तैयार की गई हैं. स्रोत के मुताबिक सरकार कुछ सालों में ऐसी ही टैबलेट्स एडल्ट्स के लिए भी ला सकती हैं. बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल देश में 25 लाख लोग टीबी से पीड़ित हैं, इनमें 5 से 6 फीसदी बच्चे हैं.
हेल्थ मिनिस्ट्री के एक सीनियर अफसर ने बताया जून से 5 राज्यों (सिक्किम, हिमाचल, केरल, बिहार और महाराष्ट्र) में इसे शुरू किया जाएगा. इन दवाईयो को बच्चों के वजन के मुताबिक बनाया गया है. दवाईयों की 6 कैटेगरी बनाई गई हैं. इनके लिए फ्लेवर्ड टैबलेट्स के अलग-अलग डोज तय किए गए हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि साल के आखिर तक 17 और राज्यों में टीबी पीड़ित बच्चों को नई टैबलेट्स मिलने लगेंगी.
बच्चों की सहुलियत के हिसाब से बनाई गई दवा
बता दें कि फिलहाल, टीबी का इलाज करा रहे बच्चों को एडल्ड्स की तरह ही रोजाना 4 बार कड़वी टैबलेट्स का डोज लेना पड़ता है. इसके लिए हैवी डोज की टैबलेट्स को कई टुकड़ों में काटकर दिया जाता है. जो कि बच्चों के लिए परफेक्ट डोज नहीं होता है. साथ ही बच्चों को पूरी खुराक भी नहीं मिल पाती है. और कड़वे टेस्ट के कारण बच्चे इसे खाने में भी नखरे करते है. ऐसे में बीमारी को ठीक करना मुश्किल हो जाता है.