फसलों के अवशेष से बायोडीजल बनाने की तैयारी की जा रही है। इससे न सिर्फ वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। यह संभव होगा हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर की बदौलत। इस संस्थान के विशेषज्ञों ने बायोडीजल बनाने की तकनीक तैयार की है। हालांकि, शुरुआती दौर में इसकी लागत अधिक है, लेकिन विशेषज्ञ इसे कम करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। देश के बड़े राज्यों में फसलों के अवशेषों को खेतों में ही जला दिया जाता है। इससे वातावरण प्रदूषित होता है और स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।

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