स्मारक हमेशा ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाते हैं। प्यार के प्रतीक के रूप में निर्मित इन इमारतों में देश के कुछ सबसे अधिक महत्वपूर्ण किले और महल शामिल हैं। इन ऐतिहासिक इमारतों को आज भी प्यार की मिसाल के रूप में संजोकर रखा गया है। प्रेम, कुर्बानी और कर्त्तव्य की कुछ सबसे अधिक महाकाव्य कहानियों की साक्षी इन ऐतिहासिक स्मारकों ने हर पीढ़ी को अपनी प्रेम की गाथा सुनाई है। ये कुछ सबसे दुखद और शाश्वत प्रेम कहानियों की गवाह भी हैं।
प्राचीन समय की वास्तुकला और शिल्पशैली में बने इन ऐतिहासिक स्मारकों की राजसी दीवारें मन को खुश कर देती हैं।स्मारक हमेशा ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाते हैं। प्यार के प्रतीक के रूप में निर्मित इन इमारतों में देश के कुछ सबसे अधिक महत्वपूर्ण किले और महल शामिल हैं। इन ऐतिहासिक इमारतों को आज भी प्यार की मिसाल के रूप में संजोकर रखा गया है। प्रेम, कुर्बानी और कर्त्तव्य की कुछ सबसे अधिक महाकाव्य कहानियों की साक्षी इन ऐतिहासिक स्मारकों ने हर पीढ़ी को अपनी प्रेम की गाथा सुनाई है। ये कुछ सबसे दुखद और शाश्वत प्रेम कहानियों की गवाह भी हैं। प्राचीन समय की वास्तुकला और शिल्पशैली में बने इन ऐतिहासिक स्मारकों की राजसी दीवारें मन को खुश कर देती हैं।
ताज महल, आगरा, उत्तर प्रदेश
इस पूरे संसार में ताजमहल से अधिक भव्य और राजसी प्यार का कोई प्रतीक नहीं है। सफेद संगमरमर से बने ताजमहल को मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1631 और 1648 के बीच अपनी प्यारी पत्नी मुमताज महल के लिए एक मकबरे के रूप में बनवाया था। उनकी पत्नी की मृत्यु प्रसव के दौरान हो गई थी। मुमताज महल और शाहजहां की याद दिलाने वाले इस मकबरे के भीतर मुमताज महल को दफनाया गया था। उन्हीं के मकबरे के बगल में शाहजहां को भी दफनाया गया था। ताज महल की इमारत के बाहर एक विशाल बगीचा भी जो आज के समय में कम ही देखने को मिलता है। प्यार की मिसाल ताहमहल को दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है।
चित्तौड़गढ़ किला, उदयुपर, राजस्थान
7वीं शताब्दी में निर्मित चित्तौड़गढ़ किला न केवल भारत में सबसे बड़े किलों में से एक है बल्कि यूनेस्को की हेरिटेज साइट में भी इसे सूचीबद्ध किया गया है। स्मारक का मुख्य आकर्षण तीन मंजिला प्राचीन सफेद रानी पद्मावती का महल है जो कमल कुंड के किनारे बना है। ये किला न केवल विशाल है बल्कि इसकी वास्तुकला और शिल्पकला भी पर्यटकों को हैरान कर देती है। यह किला अपने आप में जटिल रूप से नक्काशीदार जैन मंदिरों, सजावटी स्तंभों, जलाशयों, भूमिगत तहखानों और बहुत अधिक उत्कृष्ट वास्तुशिल्प प्रदर्शनों से सुशोभित है। राजसी चित्तौड़गढ़ किला रानी पद्मिनी और राजा रतन रावल सिंह की ऐतिहासिक प्रेम कहानी का प्रतीक है। राजा ने रानी पद्मिनी को स्वयंवर में कठिन परीक्षणों और परीक्षा के बाद जीता था एवं उन्हें अपनी प्रिय रानी के रूप में चित्तौड़गढ़ किले में लाए थे। किले की दीवारें उनकी पौराणिक प्रेम कहानी के किस्सों से गूंजती हैं। यहां आकर आप किले की भव्यता और इतिहास को देख सकते हैं।
रूपमती मंडप, मांडू, मध्य प्रदेश
एक सुरम्य पठार पर स्थित रूपमती का मंडप विरासत और ऐतिहासिक वास्तुकला के लिए मशहूर है। ये किला मांडू शहर में स्थित है। मैदान से 366 मीटर की ऊंचाई पर रूपमती मंडप का दिलचस्प और आकर्षक वास्तुशिल्प पर्यटकों को सबसे ज्यादा पसंद आता है। इसमें चौकोर मंडप, विशाल गोलार्ध के गुंबद और मेहराब हैं। इस गुंबददार रूपमती मंडप से नर्मदा नदी भी नज़र आती है जो कि 366 मीटर नीचे बहती है। मांडू, राजकुमार बाज बहादुर और रानी रूपमती की पौराणिक प्रेम कहानी के लिए लोकप्रिय है। मांडू के अंतिम स्वतंत्र शासक सुल्तान बाज बहादुर को मालवा की रानी रूपमती की मधुर आवाज से प्यार हो गया था। शासक ने रूपमती के आगे शादी करने का प्रस्ताव रख दिया लेकिन रानी रूपमती ने एक शर्त रखी कि अगर राजा एक ऐसे महल का निर्माण करेगा जहां से वह अपनी प्यारी नर्मदा नदी को देख सकती है, तो वह उससे शादी करेगी। इस प्रकार रूपमती मंडप अस्तित्व में आया और यह उन दोनों की शाश्वत प्रेम कहानी का गवाह है।
मस्तानी महल, शनिवारवाड़ा किला, पुणे, महाराष्ट्र
वर्ष 1730 में पेशवा बाजीराव द्वारा बनवाया गया शनिवारवाड़ा किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। पुणे का गौरव और सम्मान शनिवारवाड़ा किला प्रथम बाजीराव और उनकी खूबसूरत दूसरी पत्नी मस्तानी का घर रह चुका है। पेशवा बाजीराव के परिवार ने उनकी धार्मिक निष्ठाओं में अंतर के कारण मस्तानी को कानूनी रूप से पत्नी के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। इसलिए, बाजीराव ने शनिवारवाड़ा किले में मस्तानी महल का निर्माण किया जहां वह दोनों साथ रहते थे। हालांकि, मस्तानी का महल नष्ट कर दिया गया है और अब यह अस्तित्व में नहीं है लेकिन इसके अवशेष अभी भी मौजूद हैं। इस किले के द्वार पर अभी भी एक छोटे से नोटिस के पर लिखा है कि “मस्तानी दरवाजा, जिसका उल्लेख पुराने अभिलेखों में नटक्शाला गेट के रूप में किया गया है, इसका नाम मस्तानी के नाम पर रखा गया था, जो कि बुंदेलखंड से आई बाजीराव की दूसरी पत्नी थी।”