कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा बृहस्पतिवार को मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने के बाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का आशीर्वाद लेने यमुना किनारे स्थित मनकामेश्वर मंदिर पहुंचीं।
चरण पादुका पर फूल-माला चढ़ाने के बाद प्रियंका बोलीं, मेरी दादी आपका मार्गदर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए आपके पास आती रही हैं। वर्ष 1990 में पापा ने गृहप्रवेश पर आशीर्वाद के लिए आपसे दिल्ली आने के लिए आग्रह किया था। तब पहली बार आपके दर्शन का सौभाग्य मिला था। लेकिन, तब मैं बच्ची थी। आज उसी उम्र की अपनी बेटी मिराया को आपका आशीर्वाद दिलाने के लिए साथ लाई हूं।
प्रियंका की ओर से राजकाज के बारे में मार्गदर्शन के आग्रह पर शंकराचार्य जी ने कहा, हां, तुम्हारी दादी इंदिरा गांधी मुझसे आशीर्वाद लेने के लिए आती रही हैं। तुम्हारा परिवार मुझे गुरु मानता रहा है। तुमको बस, यही कहना चाहूंगा कि राजनीति में आगे बढ़ना है तो हिंदुओं के हितों को ध्यान में रखकर ही काम करो। इस देश में वही राज करेगा जो हिंदू हितों की बात करेगा। राज करना है तो हिंदुओं को साथ लेकर ही चलना होगा। राजनीति के लिए दलीय हितों से ऊपर उठकर देशहित में सोचना चाहिए और वही मार्ग अपनाना चाहिए जो संदेश श्रीराम ने भरत को दिया था।
तकरीबन 25 मिनट की मुलाकात के दौरान शंकराचार्य जी ने प्रियंका को याद दिलाया कि देश की आजादी की लड़ाई के दौरान मुझे वर्ष 1942 में नौ माह के लिए जेल भी काटनी पड़ी थी। अगर भगवा कपड़ों में न होता तो तुमसे बड़ा नेता होता। वैसे आज मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाकर तुमने बाजी मार ली। मोदी और भागवत तो नहीं आए। विदा से पूर्व मनकामेश्वर मंदिर के प्रमुख ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने प्रियंका और बेटी मिराया को रुद्राक्ष की माला पहनाई। वहीं शंकराचार्य जी ने उपहार के तौर पर प्रियंका को बनारसी साड़ी और बेटी मिराया को शाल भेंट की।
प्रियंका को मनकामेश्वर मंदिर में ही भोजन-प्रसाद लेना था पर विलंब होने के कारण उन्होंने यह कार्यक्रम स्थगित करने की बात कही। लेकिन, शंकराचार्य जी के आदेश के बाद उन्होंने भोजन प्रसाद के तौर पर पूड़ी-कचौड़ी खाई।