प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू अब उद्घाटन, विमोचन, अनावरण व शिलान्यास जैसे कार्यक्रमों में नहीं शामिल होंगे। वह ऐसे लोगों से भी नाराज हैं, जिन्होंने खुद को उनका करीबी या प्रशंसक बताते हुए सोशल मीडिया में उनके नाम का पेज, ग्रुप या अकाउंट बना रखा है।
उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के बामणा गांव में रामकथा के दौरान गत दिनों मोरारी बापू ने दो टूक कहा कि उनकी व्यास पीठ अपनी बात कहने व लोगों तक संदेश पहुंचाने में सक्षम है। मेहरबानी करके उनके नाम पर फेसबुक, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि पर चलाए जा रहे अकाउंट को बंद कर दें। मोरारी बापू ने कहा कि जिन्हें भी उनके सानिध्य की जरूरत है, वे उनके भावनगर के तलगाजरडा स्थित चित्रकूट आश्रम पर आएं।
उन्होंने कहा, ‘अब मुझे कार्यक्रमों में बुलाने से बख्श दें।’ मोरारी बाबू उन लोगों से भी व्यथित नजर आए जो खुद को उनका करीबी बताने के लिए विविध प्रपंच रचते हैं। उन्होंने कहा, ‘न मैं किसी के करीब हूं और न ही किसी से दूर। कृपा करके समाज में इस तरह का भ्रम न फैलाएं।’
मोरारी बापू ने बताया कि उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए विनयपूर्वक इन्कार कर दिया था कि वर्ष 1999 में मानसमर्मज्ञ, कथावाचक व लेखक रामकिंकर उपाध्याय को पद्मभूषण मिल चुका है।
यही पूरे कथाजगत का सम्मान है। स्वर्गीय उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था। उनके पूर्वज उत्तर प्रदेश से थे। मोरारी बापू को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पद्मश्री का प्रस्ताव मिला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोरारी बापू अगली शिवरात्रि को 75वें साल में प्रवेश कर जाएंगे।
आश्रमवासी जयदेव भाई मांकड बताते हैं कि मोरारी बापू को इतने अधिक आमंत्रण आते हैं कि सभी जगह जाना संभव नहीं। ऐसे में कई लोगों का दिल टूट जाता है, इसलिए उन्होंने उद्घाटन, शिलान्यास, विमोचन व अनावरण जैसे कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है।